
Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संशोधनों के साथ आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने हालांकि कहा कि स्कूलों में दाखिला लेने के लिए इसकी जरूरत नहीं है। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) जैसी संस्थान भी इसे अनिवार्य नहीं कर सकती। राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) जैसी परीक्षा में भी इसकी अनिवार्यता पर रोक लगा दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी को बच्चे को महज इस वजह से किसी योजना से वंचित नहीं रखा जा सकता कि उसके पास आधार नंबर नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर CBSE , NEET और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) आधार को अनिवार्य कर रहे हैं तो यह गलत है और वे ऐसा नहीं कर सकते हैं। बच्चों के नामांकन माता-पिता की सहमति लेनी जरुरी होगी। कोर्ट ने कहा कि किसी को उनके अधिकारों से इसलिए वंचित नहीं रखा जा सकता कि उनके पास आधार नहीं है।
निर्णय पढ़ते हुए जस्टिस ए के सिकरी ने कहा, शिक्षा के कारण हम अंगूठा छाप से हस्ताक्षर करना सीख गए और तकनीक ने हमें हस्ताक्षर करने की बजाए फिर से अंगूठा छाप बना दिया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता बुधवार को बरकरार रखी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचुड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की संविधान पीठ ने बहुमत के फैसले में आधार कानून को वैध ठहराया, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को निरस्त भी कर दिया।
न्यायमूर्ति सिकरी ने खुद अपनी, मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायमूर्ति खानविलकर की ओर से बहुमत का फैसला सुनाते हुए बैंक खाता खुलवाने, मोबाइल कनेक्शन हासिल करने और स्कूलों में नामांकन के लिए आधार की अनिवार्यता समाप्त कर दी, लेकिन पैन कार्ड के वास्ते इसकी अनिवार्यता बरकरार रखी है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि निजी कंपनियां आधार डाटा की मांग नहीं कर सकतीं। कोर्ट ने हालांकि डाटा सुरक्षा को लेकर मजबूत प्रणाली विकसित करने की सरकार को हिदायत दी।
Published on:
26 Sept 2018 12:50 pm
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