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BHU PhD Admission: क्या बिना NET/JRF के भी मिलता है BHU के पीएचडी कोर्स में दाखिला? जानिए

BHU PhD Admission: क्या बीएचयू में बिना NET/JRF के आधार पर दाखिला मिलता है। ये जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर-

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BHU PhD Admission

BHU PhD Admission: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक उत्कृष्टता, फैकल्टी और कोर्सेज के लिए जाना जाता है। यहां उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दी जाती है। ऐसे में बहुत से छात्र यहां से पीएचडी की डिग्री हासिल करना चाहते हैं। छात्रों को इस बात का कंफ्यूजन है कि बीएचयू में पीएचडी कोर्सेज में दाखिला कैसे मिलता है। क्या सिर्फ NET/JRF के आधार पर ही यहां दाखिला मिलता है?

बीएचयू से 4 साल का ग्रेजुएशन करने पर मिलेगा दाखिला 

बीएचयू में कई तरह के विषयों के लिए पीएचडी के कोर्सेज ऑफर किए जाते हैं। दिलचस्प बात ये है कि यहां बिना नेट जेआरएफ के भी पीएचडी में सीधे प्रवेश दिया जाता है। लेकिन ऐसा सिर्फ एक शर्त पर, जिसके तहत BHU से चार साल का ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को बिना पीजी के डायरेक्ट पीएचडी में प्रवेश दिया जाता है। लेकिन इसके लिए छात्रों को शोध के साथ ऑनर्स पूरा करना होगा। बीएचयू के पीएचडी कार्यक्रम में नौकरीपेशा, प्रोजेक्ट रिसर्चर, व्यावसायी, शिक्षक आदि भी दाखिला ले सकते हैं। 

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सिर्फ इन छात्रों के लिए है पीएडी में दाखिला लेने की छूट 

पीएचडी में डायरेक्ट एडमिशन के तहत सिर्फ उन लोगों को ही दाखिला मिलेगा जिन्होंने CGPA 7.5 या उससे अधिक स्कोर हासिल किया है। ऐसे 10 प्रतिशत छात्रों को सीधे पीएचडी में प्रवेश का अवसर मिलेगा। 

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इन कोर्सेज से कर सकते हैं पीएचडी 

बीएचयू से कई विषयों में पीएचडी कोर्सेज कर सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कोर्सेज शामिल हैं, दंत चिकित्सा विज्ञान, बंगाली, अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, गणित आदि। इन कोर्सेज के अलावा भी कई पारंपरिक और वोकेशनल कोर्सेज में दाखिला ले सकते हैं। बीएचयू में पीएचडी की अवधि 3-6 वर्ष की हो सकती है, जोकि कैंडिडेट्स के शोध विषय और कॉलेज की आवश्यकताओं के आधार पर तय होती है।

कब हुई थी बीएचयू की स्थापना 

बीएचयू की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने साल 1916 में की थी। यह भारत का पहला केंद्रीय विश्वविद्यालय है। साथ ही ये एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय कहलाता है। यहां का कैंपस ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भी बड़ा है। BHU दुनियाभर में अपनी शिक्षा के लिए मशहूर है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कई शिक्षाविद, वैज्ञानिक और समाजसेवियों ने सहयोग किया था।