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निजी क्षेत्र में संचालित जीएनएम (जनरल नर्स एवं मिडवाइफरी) कोर्स की सारी सीटें अब सरकार की ओर से ही भरी जाएंगी। चिकित्सा विभाग की ओर से गठित उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक में इसका निर्णय होने के बाद प्रवेश प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी हो गई है। इस तैयारी के बाद प्रदेश भर के प्राइवेट नर्सिंग स्कूलों-कॉलेजों के संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। अभी तक राजकीय कोटे की 50 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश सरकार की ओर से गठित बोर्ड करता आया है। मैनेजमेंट कोटे की 50 प्रतिशत सीटों पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार संस्थाओं की ओर से बनाई गई फैडरेशन करती है।
80 प्रतिशत सीटें खाली, नुकसान की आशंका
राजस्थान प्राइवेट नर्सिंग स्कूल्स एंड कॉलेजेज फैडरेशन और प्राइवेट फिजियोथैरेपी नर्सिंग एंड पेरामेडिकल इंस्टीट्यूशन सोसायटी ऑफ जयपुर का कहना है कि सत्र 2017-18 में अभी 80 प्रतिशत सीटें खाली हैं। ऐसे में विद्यार्थियों के हित में पहले की तरह ही 50 प्रतिशत सीटें फैडरेशन और 50 प्रतिशत सीटें राज्य सरकार की ओर से कराई जानी चाहिए। चिकित्सा विभाग नर्सिंग काउंसिल में पिछले साल सामने आए भ्रष्टाचार की आड़ में निजी स्कूलों को परेशान करने की तैयारी कर रहा है। इससे विद्यार्थियों को भारी नुकसान होगा।
इसका भी विरोध
नए नियमों के अनुसार सभी संस्थाओ की ओर से 500 रुपए का शपथ पत्र प्रस्तुत करना जरूरी है, जबकि संस्थाओं का कहना हे कि सभी संस्थाओं के दस्तावेज आरएनसी, आइएनसी, राज्य सरकार व आरयूएचएस के पास उपलब्ध हैं।
मनमानी के आरोप
फैडरेशन के सचिव दिलीप तिवाड़ी का कहना है कि नर्सिंग से जुड़े चिकित्सा विभाग के कुछ अधिकारियों की मनमानी के कारण इस तरीके के प्रयास हो हैं। जिससे व्यापक स्तर पर नर्सिंग विद्यार्थियों एवं प्रशिक्षण संस्थानों के भविष्य पर विपरित असर पड़ेगा। इस कोर्स में प्रवेश को लेकर जिस तरह की लापरवाही पहले चली आ रही है उसमें और इजाफा हो जाएगा।
इतने जुड़े संस्थानों से
Published on:
31 Jul 2018 10:43 am
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