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भारत में युवाओं के सामने उच्च शिक्षा के लिए अच्छे विश्वविद्यालय में प्रवेश लेना बेहद टेढ़ी खीर है। आरक्षण, महंगी फीस और बैंक से शैक्षणिक लोन की जटिल प्रक्रिया अक्सर बहुत से युवाओं का सपना तोड़ देती है। ऐसे ही युवाओं के लिए उम्मीद का सूरज है ऑनलाइन शैक्षणिक पोर्टल ‘ज्ञानधन’। यह योग्य छात्रों को मुफ्त सेवाएं देने के साथ शिक्षा के लिए कर्ज दिलाने में भी उनकी मदद करता है। उच्च शिक्षा के लिए लोन देने वाला यह देश का पहला स्टार्टअप है।
क्या है ‘ज्ञानधन’
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, आईआईटी, कानपुर और दिल्ली के पूर्व विद्यार्थियों अंकित मेहरा और जैनेश सिन्हा ने अप्रैल 2016 में ज्ञानधन की शुरुआत की थी। दिल्ली स्थित पोर्टल अब तक जरुरतमंद छात्रों को 160 करोड़ रुपए का कर्जा दिलवा चुका है। ये विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन की समीक्षा कर कर्ज दिलाने में उनकी मदद करता है। उच्च शिक्षा में पोर्टल के सहयोग को देखते हुए पिछले साल हैदराबाद में इसे आयोजित विश्व उद्यमिता सम्मेलन के ‘ग्लोबल इनोवेशन थ्रू साइंस एंड टेक्नॉलॉजी’ प्रतिस्पर्धा के फाइनल चरण के लिए चयनित किया गया था। उल्लेखनीय है कि आज भारतीय युवा उच्च शिक्षा पर सालाना २८.३ अरब रुपए खर्च कर रहे हैं, १८ से २४ साल के ७ फीसदी युवा ही विश्वविद्यालय तक पहुंच पाते हैं।
सुपर ३० से भी है नाता
मेहरा और सिन्हा अमरीका के शीर्ष बैंकों में शुमार कैपिटल वन में पांच साल तक कर्ज संबंधी नीतियां बनाते थे। सिन्हा आनंद कुमार के सुपर 30 शैक्षणिक कार्यक्रम का हिस्सा भी रहे हैं। इसलिए सिन्हा इस बात के लिए प्रतिबद्ध थे कि अगर कोई छात्र कर्ज के एवज में कोई गारंटी न भी दे पाए तो भी उसे कर्ज मिल सके।
वेबसाइट के पास एडमिशन प्रेडिक्टर नाम का एक टूल है जो छात्रों को उनके ग्रेड प्वाइंट के औसत के हिसाब से संस्थानों के चुनाव में मदद करता है। इसका आधार एक लाख से ज्यादा विद्यार्थियों का डेटाबैंक है।
कैसे करते हैं मदद
पंजीकरण के साथ ही विद्यार्थी को यह बता दिया जाता है कि उसे कितना कर्ज मिल सकता है। उसके बाद टीम से एक कर्ज काउंसलर उनसे संपर्क साधता है। अगले चरण में कर्ज देने वाले की जरूरत पर चर्चा होती है। पांच शहरों में ज्ञानधन लोन काउंसलर विद्यार्थियों से उनके कागजात एकत्र कर उनके लिए बैंकों के साथ संपर्क का काम करते हैं।
Published on:
09 Sept 2018 10:56 am
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