
graduate assistantship
अगर आप विदेश से एमबीए करने की सोच रहे हैं, तो बेशक इसके लिए फंड्स जुटाना आपके लिए सबसे पहला टास्क होगा। बेशक विदेशी यूनिवर्सिटी से की गई एमबीए की वैल्यू बहुत होगी, लेकिन वहां लगने वाला खर्च भी भारी भरकम होगा। हालांकि इस खर्च को वहन करने का एक तरीका है टीचिंग असिस्टेंटशिप, ग्रेजुएट असिस्टेंटशिप और रिसर्च असिस्टेंट की जॉब।
यह होती है असिस्टेंटशिप
असिस्टेंटशिप में आप पार्ट टाइम जॉब करते हैं और वह भी अपने ही कॉलेज में। टीचिंग असिस्टेंट में आपको प्रोफेसर को कुछ टास्क जैसे कि रिसाइटेशन सेशंस आयोजित करना, स्टूडेंट्स को पढऩे में मदद करना और ग्रेडिंग असाइनमेंट्स में मदद करने के लिए असिस्ट करना होता है। इसी तरह रिसर्च असिस्टेंट जॉब्स में आपको फेकल्टी मेंबर को उनके रिसर्च प्रोजेक्ट में असिस्ट करना होता है। आमतौर पर यह पोजीशंस पहले सेमिस्टर में स्टूडेंट्स के लिए नहीं होती हैं, लेकिन दूसरे सेमिस्टर से आप आसानी से असिस्टेंटशिप पा सकते हैं।
यह होता है फायदा
- असिस्टेंटशिप के जरिए आपको बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलता है। आप अपनी लीडरशिप क्वालिटीज और रिसर्च एबिलिटीज में सुधार ला सकते हैं।
- आमतौर पर स्टूडेंट को सप्ताह में १० से १५ घंटे काम करना होता है और बदले में उन्हें अच्छा स्टाइपंड मिलता है, जिससे वे अपनी फीस चुका सकते हैं।
- इसी तरह कॉलेज के दूसरे साल में सप्ताह में करीब २० घंटे काम करने की इजाजत मिल जाती है, जिससे स्टाइपंड डबल हो जाता है, करीब 13000 डॉलर तक। यानी कि आप प्रति माह करीब 35 लाख 68 हजार रुपए तक कमा सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
कॉलेज चुनते वक्त सबसे पहले यह चैक करें कि कॉलेज में असिस्टेंटशिप की पोजीशंस मौजूद हैं या नहीं। हर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंटशिप के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया अलग होता है। इसके बारे में पूरी जानकारी पहले से ही लेना जरूरी है। इसके अलावा भी स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप के अन्य ऑप्शंस पर भी रिसर्च करना चाहिए।
Published on:
28 Jul 2018 02:49 pm
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