
regardless-of-the-law-of-education-one-of-the-15-colleges-recognized
झालावाड़. राजस्थान में विधि शिक्षा की जमकर धज्जियंा उड़ रही है। न इस ओर राज्य सरकार का ध्यान है और न ही न्यायपालिका का। ऐसे में कैसे छात्र कानून की शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। सीएम के गृह जिले झालावाड़ के लॉ कॉलेज सहित प्रदेश में 15 कॉलेज हैं लेकिन किसी के पास बार कौंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं और न ही किसी भी कॉलेज के पास नैक की ग्रेडिंग है। हालांकि प्रदेश में बीकानेर कॉलेज का यूजीसी में पंजीकरण हो चुका है, लेकिन दूसरे कॉलेज की सरकार को कोई परवाह नहीं है। इस बार एलएलबी प्रथम वर्ष में दाखिले का अता-पता नहीं है। सत्र 2018-19 की शुरूआत होने के बावजूद दाखिले अटके हुए है। लॉ कॉलेज में समय से दाखिले नहीं होने से विद्यार्थियों को नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं बार कौंसिल से मान्यता भी नहीं मिल पाती है।
इसलिए परेशानी
झालावाड़ सहित राजस्थान के सभी लॉ कॉलेज मेें प्रथम वर्ष के दाखिलों पर तलवार लटकी हुई है। जुलाई माह निकलने को आया है। कॉलेज निदेशालय ने हमेशा की तरह बीसीआई की मंजूरी के बिना प्रवेश नहीं करने की शर्त लगाई है। बीसीआई ने लॉ कॉलेजों में सीमित संसाधन और शिक्षकों की कमी को देखते हुए सरकार से अंडर टेकिंग मांगी थी। लेकिन यह अवधि भी निकल चुकी है।
वनमैन आर्मी
वैसे तो झालावाड़ जिला मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है। इसके बाद भी यहां के मुंडेरी स्थित विधि महाविद्यालय में एक ही व्याख्याता कार्यरत है। वह भी प्रतिनियुक्ति पर है। कॉलेज में अभी तक कोई स्थायी कर्मचारी नहीं लगाया गया है जबकि यहां व्याख्याताओं की आठ सीटें स्वीकृत है। स्थाई प्राचार्य नहीं होने से डीडीओ पावर नहीं होने से महाविद्यालय के कई काम अटके हुए पड़े हैं। वहीं प्रदेश में कोटा, नागौर, बूंदी, सीकर, भीलवाड़ा सहित किसी भी कॉलेज में पर्याप्त स्टाफ नहीं है। किसी भी कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार और अन्य सुविधाएं मुहैया नहीं है। राजस्थान में 2005-06 में 15 कॉलेजों की स्थापना हुई थी। इसमें झालावाड़, अजमेर, बीकानेर, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा, सीकर, नागौर, धौलपुर, उदयपुर, चूरू, अलवर, श्रीगंगानगर आदि शामिल है।
छात्रों की पीड़ा
जिले के विधि महाविद्यालय में प्रवेश नहीं होने से जिले के सैकड़ों छात्रों को इंदौर, उज्जैन सहित अन्य पास के राज्यों में प्रवेश लेना मजबूरी बनी हुई है। इसके साथ ही छात्रों को निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश मजबूरी में लेना पड़ रहा है। छात्र रविकांत, मनोज कुमार, सृष्टि शर्मा, पायल गोस्वामी आदि ने बताया कि जिले में विधि महाविद्यालय होने के बाद भी यहां अध्ययन की सुविधा नहीं मिल पा रही है। उन्हें विधि में प्रवेश लेना है अब दूसरे स्थान पर खर्चा ज्यादा होने से परिजनों को आर्थिक नुकसान होगा।
यह है नियम
यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ के तहत सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को पंजीकृत किया जाता है। यह पंजीयन संस्थाओं में शैक्षिक विभाग, शिक्षकों और स्टाफ की संख्या, भवन, संसाधन सह शैक्षिक गतिविधियों और अन्य आधार पर होता है। इसमें पंजीकृत कॉलेज-विश्वविद्यालयों को विकास कार्यों, शैक्षिक कॉन्फ्रेंस, कार्यशाला, भवन निर्माण के लिए बजट मिलता है। लेकिन यूजीसी से मान्यता नहीं नहीं होने के कारण इन महाविद्यालयों को यूजीसी से मिलने वाली ग्रांड भी नहीं मिल पाती है।
& बार कौंसिल ऑफ इंडिया को विधि महाविद्यालय की मान्यता के लिए प्रस्ताव बना कर भेज रखे हैं। वहां से जवाब आने के बाद ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी।
डॉ. आर.के. उपाध्याय, कार्यवाहक प्राचार्य, विधि महाविद्यालय, झालावाड़
Published on:
28 Jul 2018 12:01 pm
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