भारत India के सभ्यतागत लोकाचार पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, दान, सहायता या इस तरह की मदद बिना किसी शर्त के होनी चाहिए। मंड्या जिले के आदिचुंचनगिरी विश्वविद्यालय Adichunchanagiri University में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दान के कारण आस्था की स्वतंत्रता को बंधक बनाना चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, जब आप जरूरतमंदों, हाशिए पर पड़े लोगों, कमजोर लोगों की आस्था को प्रभावित करते हैं, तो चीजें वास्तव में बहुत गंभीर हो जाती हैं। इस तरह की हरकतों से राष्ट्रवाद और संवैधानिक मूल्यों की भावना पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। कुछ लोगों के पास समावेशिता की एक अलग अवधारणा है जो समावेशिता की भावना को नष्ट कर देती है। हमें बेहद सतर्क और सावधान रहना होगा।
उपराष्ट्रपति ने संकट के समय धार्मिक संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सामाजिक क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं और इसी तरह की अन्य चुनौतियों के समय धार्मिक संस्थाओं की भूमिका सरकारी प्रयासों के पूरक के रूप में काम करती है। कोविड के दौरान इसका पूरा उदाहरण देखने को मिला।पूर्व मूख्यमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा, डॉ. निर्मलानंदनाथ महास्वामी, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती और आदिचुंचनगिरि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम.ए. शेखर ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
देवेगौड़ा के आवास पर जाएंगे आज उपराष्ट्रपति शनिवार सुबह 9.30 बजे देवेगौड़ा के आवास पर जाएंगे। चन्नम्मा देवेगौड़ा के स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी लेंगे। इस दौरे के दौरान केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी और जेडीएस युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष निखिल कुमारस्वामी भी मौजूद रहेंगे।