
Indian Students: ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा भारतीय छात्रों को बड़ा झटका मिला है। ऑस्ट्रेलिया ने स्टूडेंट वीजा फीस की दर बढ़ा दी है। भारतीय छात्रों पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों की संख्या दूसरे नंबर पर है। वीजा फीस बढ़ोत्तरी के बाद से यहां के छात्र तनाव में हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या दूसरे नंबर पर रहती है। वहीं सरकारी आंकड़ों की मानें तो साल 2022 में ऑस्ट्रेलियाई संस्थानों में एक लाख से ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ रहे थे। जनवरी से सितंबर 2023 की अवधि में यह संख्या 1.22 लाख थी। हालांकि, स्टूडेंट वीजा शुल्क (Student Visa Fees) की बढ़ोत्तरी के बाद छात्रों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
भारत में कई ऐसे छात्र (Indian Students) हैं जो उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए विदेश का रुख करते हैं। वहीं कुछ छात्र हैं जो अपने ही देश से पढ़ाई करना चाहते हैं। फीस, आर्थिक स्थिति, परिवार से दूरी, अपना देश छोड़ना, बेहतर सुविधा, वीजा फीस (Visa Fees), डिग्री पूरी करने के बाद काम के अवसर आदि ऐसे कई कारक हैं जिनके आधार पर छात्र विदेश में पढ़ाई करना चुनते हैं। इसी को लेकर हमने कई छात्रों से बातचीत की कि वे अपनी पढ़ाई कहां से करना चाहते हैं।
बीटेक कोर्स की छात्रा वंशिका थदानी कहती हैं कि भारत में पढ़ना उनके लिए सौभाग्य की बात है और वे अपनी सेवा भारत को देना चाहती हैं। वहीं तकनीकी विषयों के अन्य छात्रों का मानना है कि विदेशों से पढ़ाई करने पर उनके लिए भविष्य में रिसर्च और नौकरी के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही उनका कहना है कि विदेशों में कोडिंग की पढ़ाई भारत की तुलना में ज्यादा बेहतर होती है। यही कारण है कि तकनीकी विषयों के छात्र विदेश से पढ़ने का सपना देखते हैं। वहीं BCA कर रही गुनगुन बलवानी और निशा मंचनदिया को भारत में ही रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहेंगी। उनका कहना है कि उनके लिए यहां की शिक्षा विदेशों की तुलना में सस्ती है। साथ ही भारत में सांस्कृतिक शिक्षा भी दी जाती है।
वहीं जयपुर के कॉलेज से BAJMC कर रही शिल्पा चौहान का कहना है कि बाहरी देशों में अधिक अवसर मिलते हैं। साथ ही नए दोस्त मिलते हैं जो अलग-अलग कल्चर से आते हैं। साइकोलॉजी से स्नातक करने वाली जागृति महावर का कहना है कि वे अपने ही देश में रहकर यहां की आर्थिक स्थिति सुधारना चाहती हैं और अपनी सेवा भारत में देना चाहती हैं।
कंप्यूटर साइंस के छात्र मधुर रावत भारत से बाहर जाकर पढ़ना चाहते हैं। उनका मानना है कि विदेशों में भारत के मुकाबले उन्हें ज्यादा अवसर मिलेंगे। साथ ही वहां हाईटैक तकनीक का इस्तेमाल होता है। मधुर रावत अभी जयपुर के एक प्राइवेट कॉलेज से बीटेक कर रहे हैं। वे एमटेक की पढ़ाई के लिए कनाडा या फिर यूएस जाना चाहते हैं।
अंजलि थडानी जो हाल ही में अपना BBA पास कर चुकी हैं कहती हैं कि वो भारत में ही रहकर आगे की पढ़ाई जारी रखेंगी। वहीं उनकी ही तरह नायरा रजानी जो MBA (मार्केटिंग) पास कर चुकी हैं भारत में ही रहना चाहती हैं। इन दोनों का ही कहना है कि वो भारत की एफएमसीजी (FMCG- Fast Moving Consumer Goods) क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहती हैं। साथ ही नायरा का कहना है कि भारत एक विकासशील देश है जहां जीरो से कुछ भी सीखा या शुरू किया जा सकता है और वो भी आसानी से।
इधर, बीएससी (Biotechnology) छात्रा इशिता अरोड़ा और प्री मेडिकल की छात्रा जैसमिन दोनों अलग अलग राय रखती हैं। एक तरफ जहां इशिता बेहतर अवसर के लिए बाहर जाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर जैसमिन का कहना है कि भारत में बीते कुछ सालों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव हुए हैं।
भारतीय छात्रों (Indian Students) का मानना है कि भारत में भले ही सुविधाएं थोड़ी कम हैं लेकिन यहां की सरकार नए-नए प्लान्स के तहत बेहतर शिक्षा प्रदान करने की कोशिश कर रही है। भारत में सांस्कृतिक शिक्षा को काफी महत्व दिया जाता है। हाल ही में IGNOU में ओडीएल मोड में गीता को लेकर एमए प्रोग्राम शुरू किया गया। ये कोर्स नए सत्र 2024 से शुरू होगा। ऐसे ही भारत के कई विश्वविद्यालयों में कल्चर आधारित एजुकेशन है।
Published on:
05 Jul 2024 04:06 pm
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