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Republic Day Special: कौन थीं संविधान सभा की ये 15 महिलाएं? चुनौती भरा था इनका जीवन…

Republic Day Special Indian Women In History: संविधान सभा में 299 सदस्य थे, जिसमें से 15 महिलाएं भी थीं। आइए, जानते हैं ये महिलाएं कौन थीं और कहां से आई थीं-

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Indian Women In History

Republic Day Special Indian Women In History: भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य बना था। आजाद भारत कैसा होगा, इसकी रूपरेखा क्या होगी और यहां के नागरिकों के क्या हक होंगे, इसके लिए संविधान बनाया गया था। संविधान सभा में 299 सदस्य थे, जिसमें से 15 महिलाएं भी थीं। हालांकि, महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले काफी कम थी। लेकिन उस समय के अनुसार, महिलाओं का इस सभा में होना भी बड़ी बात थी। ऐसे में आइए, जानते हैं ये महिलाएं कौन थीं और कहां से आई थीं।

दक्षयानी वेलायुधन

दक्षयानी वेलायुधन संविधान सभा की इकलौती महिला दलित सदस्य थीं। उनका जन्म केरल में हुआ था। वे पुलय समुदाय से ताल्लुक रखती थीं। वे अपने समुदाय की पहली महिला थीं जिन्होंने कॉलेज की शिक्षा हासिल की थी। दक्षयानी महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित थीं। वे मद्रास प्रेसिडेंसी से कांग्रेस के टिकट पर संविधान सभा के लिए चुनी गई थीं। उन्होंने संविधान सभा में छुआछूत, आरक्षण, हिंदू-मुसलमान जैसे कई अहम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी थी।

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सरोजिनी नायडू

भारत कोकिला सरोजिनी नायडू को कौन नहीं जानता। वे एक मशहूर कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी थीं। वे कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं। ऐसा कहा जाता है कि वे गांधी जी के काफी करीबी में से एक थीं। सरोजिनी नायडू संविधान सभा में बिहार से चुनी गई थीं। सरोजिनी नायडू उत्तर प्रदेश की राज्यपाल थीं। वे भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं।

सुचेता कृपलानी 

साल 1963 में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) की मुख्यमंत्री बनीं। वे भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के नाम से जानी जाती हैं। सुचेता गांधीवादी विचारधारा की थीं। भारत छोड़ो आंदोलन में उनका खास योगदान रहा है। कांग्रेस की सदस्य रहते हुए उन्हें संविधान सभा के लिए नामंकित किया गया था। 

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बेगम कुदसिया एजाज रसूल

बेगम कुदसिया पर्दा को त्यागने के लिए जानी जाती है। लेकिन इसका खामियाजा उन्हें तब भुगतना पड़ा जब उनके खिलाफ मौलाना ने फतवा जारी कर दिया। बेगम कुदसिया लंबे वक्त से मुस्लिम लीग से जुड़ी हुई थीं। बाद में उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन कर लिया। उन्होंने आजीवन महिलाओं के अधिकारी के लिए लड़ाई लड़ी है।

विजय लक्ष्मी पंडित 

नेहरू परिवार में जन्मी विजय लक्ष्मी पंडित के नाम से काफी लोग वाकिफ होंगे। उन्होंने शुरुआत से ही राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। उन्हें इलाहाबाद में कांग्रेस कमेटी की बैठक के दौरान गिरफ्तार भी किया गया था। विजय लक्ष्मी को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के प्रतिनिधिमंडल का प्रमुख बनाया गया था।

कमला चौधरी 

कमला चौधरी ने पितृसत्तात्मक सोच के खिलाफ, नारीवाद और लैंगिक समानता पर आजीवन काम किया था। वे उत्तर प्रदेश की रहने वाली थीं। उनकी शादी महज 15 साल की उम्र में कर दी गई थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान वे कांग्रेस में शामिल हो गईं। इसके बाद वे जेल भी गईं। कमला चौधरी महिला चरखा संघ की सचिव भी थीं।

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पूर्णिमा बनर्जी 

पूर्णिमा बनर्जी जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के काफी करीबी मानी जाती थीं। पूर्णिमा का जन्म पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) में हुआ था। पूर्णिमा ने आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई है। वे कई बार जेल भी गईं। 

हंसा मेहता

हंसा मेहता का जन्म गुजरात में हुआ था। वे एक महिलावादी और समाज सुधारक थीं। संयुक्त राष्ट्र के आयोग (UNCHR) में उनकी अहम भूमिका रही। महात्मा गांधी से मुलाकात के बाद वे स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गईं। संविधान सभा की सदस्य होने के साथ साथ वे UNESCO बोर्ड की सदस्य भी रही थीं। 

मालती चौधरी 

मालती चौधरी को संविधान सभा की सदस्य के रूप में उड़ीसा (ओडिशा) से चुना गया था। उन्होंने आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई थी। मालती चौधरी के कारण उड़ीसा की महिलाओं की भागीदारी स्वतंत्रता की लड़ाई में बढ़ी।

लीला रॉय

लीला रॉय का जन्म तब के बांग्लादेश में हुआ था। उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान असहयोग आंदोलन के बारे में जाना था। वे क्रांतिकारी समूह श्री संघ की कार्यकारिणी और उसका संचालन करने वाली पहली महिला थीं। वे विभाजन से काफी दुखी थीं। जब लीला रॉय को पता चला कि इससे नहीं बचा जा सकता तो उन्होंने संविधान सभा से इस्तीफा दे दिया। 

रेणुका रे 

एक रिश्तेदार के घर रेणुका की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी। इस मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। वे आजादी की लड़ाई से जुड़ गईं और अपनी सहेली के साथ घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा करने लगीं। हालांकि, बाद में वे पढ़ाई के लिए लंदन चली गईं। वहां से लौटने के बाद उन्हें संविधान सभा का सदस्य बनाया गया।

राजकुमारी अमृत कौर

राजकुमारी अमृत कौर शाही परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनके घर कांग्रेसियों का आना जाना लगा रहता था। उन्होंने अपने जीवनकाल का लंबा वक्त महात्मा गांधी के सहयोगी के रूप में बीताया। उन्होंने गुजरात में लोगों को छुआछूत के बारे में जागरूक करने का काम किया। संविधान सभा की सदस्य के साथ साथ वे नेहरू कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री भी थीं। 

एनी मैसकेरीन

एनी मैसकेरीन त्रावणकोर और कोचिन रियासत से संविधान सभा की सदस्य बनी थीं। उनके पास इतिहास और अर्थशास्त्र में दो एमए की डिग्री थी। उन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और जेल भी गईं।

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अम्मू स्वामीनाथन

अम्मू स्वामीनाथन उर्फ एवी अम्मूकुट्टी का जन्म केरल में हुआ था। स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के संपर्क में आने के बाद अम्मू स्वामीनाथन महिलाओं के मुद्दे पर काम करने लगीं। वे वीमेंस इंडियन एसोसिएशन और ऑल इंडियन वीमेंस कॉन्फ्रेंस से जुड़ी थीं। वे 1946 में मद्रास से संविधान सभा के लिए चुनी गईं। 

दुर्गाबाई देशमुख

दुर्गाबाई देशमुख का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था। वे एक समाज सेवी माता-पिता के घर जन्मी थीं। दुर्गा ने देवदासी और मुस्लिम महिलाओं के पर्दा करने की प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी और अपनी बात महात्मा गांधी तक पहुंचाई थी। 15 साल में उनकी पहचान बन गई थी। उनके जीवन में जेल जाना भी शामिल था।