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BHU निर्माण के लिए काशी नरेश ने रख दी थी अजीब-ओ-गरीब शर्त, पंडित मदन मोहन मालवीय ने पूरा कर बनवाया प्रसिद्ध विश्वविद्यालय

BHU: बीएचयू की स्थापना में मदन मोहन मालवीय के साथ एनी बेसेंट, दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह, और नारायण राजवंश के प्रभु नारायण सिंह तथा आदित्य नारायण सिंह ने भी योगदान दिया था।

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भारत

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Anurag Animesh

Mar 19, 2025

History Of BHU

History Of BHU

History of BHU: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय(BHU ) दुनियाभर में एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के तौर पर विख्यात है। इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की नींव महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में बसंत पंचमी के दिन रखी थी। इसकी स्थापना के लिए उन्होंने समाज से दान लिया था। इस विश्वविद्यालय के निर्माण में एनी बेसेंट द्वारा स्थापित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की महत्वपूर्ण भूमिका रही। BHU निर्माण के मूल में सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज ही थी। बीएचयू को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान(Institute of National Importance) का दर्जा प्राप्त है।

BHU: विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान


बीएचयू की स्थापना में मदन मोहन मालवीय के साथ एनी बेसेंट, दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह, और नारायण राजवंश के प्रभु नारायण सिंह तथा आदित्य नारायण सिंह ने भी योगदान दिया था। हैदराबाद के सातवें निज़ाम "मीर उस्मान अली खान" ने इस विश्वविद्यालय को एक लाख रूपए का योगदान दिया। दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह ने विश्वविद्यालय की स्थापना में आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था दान देकर की। हालांकि, इस विश्वविद्यालय की परिकल्पना मालवीय जी ने की थी। 1905 में बनारस में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 21वें अधिवेशन में उन्होंने इस विश्वविद्यालय को स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने 1911 में इसकी विस्तृत योजना भी प्रकाशित की थी, जिसमें भारतीय समाज की आर्थिक स्थिति सुधारने और शिक्षा को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया था।

Madan Mohan Malviya: जब काशी नरेश ने रखी थी अजीब-ओ-गरीब शर्त


विश्वविद्यालय निर्माण को लेकर एक कहानी बहुत प्रचलित है कि जब काशी नरेश ने अजीब-ओ-गरीब शर्त रख दी थी। विश्वविद्यालय निर्माण के लिए केवल धन ही नहीं, बल्कि जमीन की भी जरूरत थी। कहा जाता है कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय इस संबंध में काशी नरेश के पास पहुंचे। जब उन्होंने कशी नरेश से यूनिवर्सिटी के लिए जमीन मांगा तो काशी नरेश ने एक शर्त रखी कि वे सूर्यास्त से पहले जितनी जमीन पैदल नाप लेंगे, उतनी जमीन उन्हें दान में दे दी जाएगी। जिसके बाद महामना दिनभर पैदल चलते रहे और इस तरह विश्वविद्यालय के लिए विशाल भूभाग महामना को मिला।

2012 में मिला IIT का दर्जा


बीएचयू में छह संस्थान, 14 स्ट्रीम और लगभग 140 विभाग है। 2020 के डेटा के मुताबिक विश्वविद्यालय में कुल 48 देशों के छात्र पढ़ते हैं। जिनकी संख्या लगभग 30,698 है। इसमें हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए 65 से अधिक छात्रावास हैं। इसके कई संकायों और संस्थानों में कला, सामाजिक विज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन अध्ययन, विज्ञान, प्रदर्शन कला, कानून, कृषि विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, और पर्यावरण और सतत विकास के साथ-साथ भाषा विज्ञान, पत्रकारिता और जनसंचार विभाग शामिल हैं। विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संस्थान को जून 2012 में Indian Institute of Technology(IIT) के रूप में नामित किया गया था, और इसके बाद से यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय अधिनियम के माध्यम से 1916 में केंद्रीकृत, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय भारत का पहला केंद्रीय विश्वविद्यालय है।

BHU: एशिया का एकमात्र सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय


BHU की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एशिया का एकमात्र सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है। इस यूनिवर्सिटी के निर्माण में पंडित मदन मोहन मालवीय जी, डॉ एनी बेसेंट और डॉ एस राधाकृष्णन् जैसे महान लोगों के संघर्ष का योगदान रहा है। इस यूनिवर्सिटी को लेकर एक बात यह भी कही जाती है कि एक भिखारी ने भी अपनी एक दिन की पूरी कमाई महामना को इस यूनिवर्सिटी के लिए दान दी थी। उस भिखारी नाम भी दान देने वालों की सूची में दर्ज है।


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