
Madras HC
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने मंगलवार को तमिल भाषा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) देने वाले स्टुडेंट्स को 196 अतिरिक्त अंक देने का आदेश दिया है क्योंकि 49 प्रश्न गलत थे। देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट परीक्षा का आयोजन करवाया जाता है। कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को आदेश दिया कि वह तमिल भाषा में गलत तरीके से अनुवाद किए गए प्रत्येक प्रश्न के लिए 4 अंक दे।
कोर्ट ने CPI-Mम के सांसद टी के रंगराजन की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में सीबीएसइ से कहा है कि वह संशोधित रैंकिंग सूची जारी कर प्रवेश प्रक्रिया शुरू करे। सांसद टी के रंगराजन ने अपनी याचिका में कहा कि प्रश्न पत्र में मुख्य शब्दों को गलत तरीके से तमिल में अनुवादित किया गया था जिसके चलते बच्चों में भ्रम पैदा हुआ।
उल्लेखनीय है कि देशभर में ६ मई को नीट परीक्षा का आयोजन किया गया था। तमिल नाडु के करीब २४ हजार बच्चों ने परीक्षा दी थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद इन बच्चों को फायदा होगा। हाला ंकि, कोर्ट के इस आदेश के बाद देशभर के बच्चों में जटिलता पैदा होगी क्योंकि रैंकिंग में भारी बदलाव देखा जाएगा।
वहीं, नीट परीक्षा को लेकर राजनीति भी होती रही है। तमिल नाडु में अधिकतर पार्टियां इस पक्ष में हैं कि नीट परीक्षा को बंद कर देना चाहिए। प्रदेश के मछली पालन मंत्री डी जयाकुमार ने कहा कि हम चाहते हैं कि नीट परीक्षा तमिल नाडु में लागू नहीं हो। हम शुरू से इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। दूसरी ओर विपक्षी पार्टी डीएमके भी नीट के खिलाफ है। पार्टी ने राज्य सरकार पर मामले को सही तरीके से नहीं उठाने का भी आरोप लगाया।
डीएमके प्रवक्ता ए सरावनन ने कहा, हम नीट का विरोध करते हैं क्योंकि सीबीएसइ इसे सही ढंग से कराने में सक्षम नहीं है और इसी कमी के कारण बच्चों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि, तमिल नाडु की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इकाई का मानना है कि नीट को खारिज नहीं किया जाना है। पार्टी ने डीएमके पर मामले को राजनैतिक रंग देने का आरोप लगाया।
Published on:
10 Jul 2018 03:28 pm
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