27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Bangladesh History: पहले बांग्लादेश का नाम क्या था कितनी बार हो चुका है नामकरण, बहुत रोचक है इसके पीछे की कहानी

General Knowledge Of Bangladesh: भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश इन दिनों अशांति और यहां के हालातों को लेकर चर्चा में है। लेकिन क्या आप इस देश का असली और आधिकारिक नाम जानते हैं। इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे बांग्लादेश के बनने की पूरी कहानी क्या है और इससे जुड़ी कुछ ऐसी ही अहम जानकारी।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Mohsina Bano

Dec 27, 2025

Bangladesh Official Name

Bangladesh History (Image Saurce: Freepik)

Bangladesh History: भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश इन दिनों दुनियाभर में चर्चाओं का विषय बना हुआ है। कभी इकोनॉमी के मामले में भारत को टक्कर देने वाला ये देश अब बर्बादी की नई इबारत लिख रहा है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग घरों में कैद हो गए है। तख्तापलट के बाद से शुरू हुआ सत्ता का संघर्ष अभी तक थमने का नाम ही नही ले रहा। आइए जानते हैं बांग्लादेश से जुड़ी कुछ ऐसी ही अहम जानकारी।

Bangladesh History: बांग्लादेश का आधिकारिक नाम

अक्सर लोग इसे केवल बांग्लादेश के नाम से जानते हैं लेकिन इसका आधिकारिक नाम 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश' है। जिसका मतलब बंगाल के लोगों की मातृभूमि होता है। बता दें कि, इतिहास और आजादी विभाजन के समय 1947 में इसे पूर्वी बंगाल कहा जाता था। इसके बाद 1955 में इसका नाम बदलकर पूर्वी पाकिस्तान कर दिया गया था। 1971 से पहले तक यह इसी नाम से जाना जाता था। बांग्लादेश ने 26 मार्च, 1971 को अपनी आजादी का ऐलान किया और 16 दिसंबर, 1971 को यह पूरी तरह आजाद राष्ट्र बना।

बांग्लादेश के राष्ट्रगान का भारत कनेक्शन

बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' है, जिसका मतलब 'मेरा सोने का बंगाल' या 'मेरा स्वर्ण बंगाल' होता है। इस गीत में बंगाल की सुंदरता, मिट्टी और लोगों के प्रति गहरे प्रेम और एकता की भावना को व्यक्त किया गया है। लेकिन खास बात यह है कि इसे महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में लिखा था। आगे चलकर 1971 में आजाद बांग्लादेश ने इस गीत की पहली दस पंक्तियों को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रगान के लिहाज से स्वीकार कर लिया।

असुरक्षा के साए में आमजन

दिसंबर 2025 का यह समय बांग्लादेश के इतिहास का सबसे खौफनाक अध्याय साबित हुआ। प्रशासन का नियंत्रण तो जैसे पूरी तरह खत्म ही हो चुका है, हरतरफ उपद्रवी तत्वों का बोलबाला है। तख्तापलट के बाद उपजी इस अस्थिरता ने देश को दशकों पीछे धकेल दिया है। हिंसा के इस दौर में विकास की बातें अब बीते कल की बात हो गई हैं। अब तो ये आलम है कि, हर तरफ सिर्फ और सिर्फ बर्बादी का मंजर दिखाई दे रहा है। जाहिर है कि बांग्लादेश को मौजुदा हालातों से उबरने में सालों लग जाएंगे।