
ISRO Former Chairman K Radhakrishnan Success Story: फिल्मों के माध्यम से लगभग हर व्यक्ति को ‘मॉम’ की जानकारी है। लेकिन इस मिशन को सक्सेसफुल बनाने वाले व्यक्ति को शायद ही आप जानते होंगे। हम बात कर रहे हैं इसरो के पूर्व अध्यक्ष के राधाकृष्णन की, जिन्होंने ‘मॉम’ को मंगल तक पहुंचाया। विज्ञान से अलग वे कथकली और शास्त्रीय गायकी में भी बेमिसाल हैं।
राधाकृष्णन केरल के हैं। उन्होंने कई कार्यक्रमों में कथकली का प्रदर्शन भी किया। वैसे कला के प्रति रुझान की नींव घर पर ही पड़ी थी। उन्होंने केरल नाटनम में औपचारिक प्रशिक्षण प्रोफेसर थ्रिपुनिथुरा विजयभानु से लिया। फिर गुरु पल्लीपुरम गोपालन नायर, कलानिलयम राघवन और श्री टी.वी.ए वेरियर से कथकली नृत्य का प्रशिक्षण लिया।1995 में कर्नाटक संगीत सीखा।
के राधाकृष्णन इंजीनियरिंग कॉलेज, त्रिवेंद्रम से बीएससी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर चुके हैं। इसके बाद उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से पीएचडी की। फिर आईआईएम बैंगलोर से पीजीडीएम की डिग्री हासिल की। शिक्षा हासिल करने के बाद उनके करियर की शुरुआत विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से 1971 में हुई। राधाकृष्णन ने यहां सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल प्रोजेक्ट की अहम जिम्मेदारी संभाली। 2009 से 2014 तक डॉ. राधाकृष्णन इसरो के अध्यक्ष रहे। उनकी अगुवाई में भारत ने चंद्रयान-1 मिशन, मार्स ऑर्बिटर मिशन और जीसैट श्रृंखला के उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया।
राधाकृष्णन की आत्मकथा- ‘माई ओडिसी: मेमोयर्स ऑफ द मैन बिहाइंड द मंगलयान मिशन’ ने उनकी जीवन के कई राज खोले। इस पुस्तक में बताया गया है कि कैसे उन्होंने मानसिक दबाव की स्थिति में शास्त्रीय संगीत का सहारा लिया। राधाकृष्णन ने पुस्तक में लिखा है, “ मैंने खुद को स्वस्थ रखने और खुद को तरोताजा करने के लिए शास्त्रीय संगीत की ओर रुख किया। ऐसे भी दिन थे जब मैं सुबह जल्दी उठ जाता और जोरदार तरीके से गायन का अभ्यास करना शुरू कर देता। मुझे कभी इस बात की चिंता नहीं होती थी कि मेरी आवाज अच्छी है या नहीं, इस अभ्यास ने मुझे मानसिक शांति प्रदान की।”
2023 में ही उनके गायन कौशल को सोशल प्लेटफॉर्म पर सबने देखा और दाद दी। यह कार्यक्रम त्रिशूर के इरिंजालकुडा में कूडलमानिक्यम मंदिर में आयोजित किया गया था। इस दौरान इसरो के पूर्व अध्यक्ष (ISRO Former Chairman) ने पारंपरिक पोशाक में कर्नाटक संगीत की प्रस्तुति दी। ये प्रस्तुति इतनी शानदार थी कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक होने के अलावा गायन के प्रति भी इतना समर्पण रखते हैं ये देख कर लोग भौंचक्के रह गए।
2014 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें हाल ही में भारत सरकार ने एनटीए की उस हाईलेवल कमिटी का अध्यक्ष बनाया जो परीक्षाओं को पारदर्शी और गड़बड़ी मुक्त बनाने में मदद करेगी। देश के युवाओं की निगाहें इनकी ओर हैं। विश्वास है कि डॉ राधाकृष्णन की समीक्षा रिपोर्ट उनकी परेशानियों को दूर करेगी और शायद ‘मॉम’ की तरह ही रिपोर्ट पहली बार में ही पेपर लीक के दंश से मुक्ति दिला दे!
Published on:
29 Aug 2024 02:23 pm
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