
Punjab Schools: पंजाब सरकार ने राज्य में स्कूल से वंचित रह गए बच्चों की पहचान के लिए सर्वे अभियान की शुरुआत की है। यह सर्वे 18 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच आयोजित किया जाएगा और इसकी जिम्मेदारी राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को सौंपी गई है। इस संबंध में डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन, पंजाब ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (सेकेंडरी और प्राइमरी), ब्लॉक प्राइमरी शिक्षा अधिकारियों और सभी स्कूल प्रमुखों को विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। लेकिन शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के इस आदेश पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ये सर्वे के लिए ठीक समय नहीं है क्योंकि इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा।
शिक्षा विभाग की इस मुहिम का उद्देश्य है 3 से 19 साल के उन बच्चों की पहचान करना, जिन्होंने कभी स्कूल में दाखिला नहीं लिया या पढ़ाई पूरी करने से पहले ही किसी कारणवश स्कूल छोड़ (School Dropouts) दिया। सर्वे के तहत गांव, शहर, झुग्गियों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड, निर्माण स्थल आदि जगहों पर जाकर बच्चों की पहचान की जाएगी। ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जो प्रवासी परिवारों, घुमंतू जनजातियों, घरेलू कामगारों या अन्य असुरक्षित स्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग के इस आदेश ने शिक्षकों की रातों की नींद उड़ा दी है। कई शिक्षकों का मानना है कि यह समय स्कूलों में पढ़ाई का है। आने वाले समय में वार्षिक परीक्षाएं हैं, जिसे लेकर स्कूलों में पहले से ही कई शैक्षणिक परियोजनाएं चल रही हैं। ऐसे में अब सर्वे का आदेश आने से उनकी परेशानी बढ़ गई है। शिक्षकों का कहना है कि इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। शिक्षकों पर इतनी सारी जिम्मेदारियों का बोझ एक साथ डालने से गुणवत्ता प्रभावित होगी।
यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सर्वे पूरा होने के बाद, सभी प्राइमरी, मिडल, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से प्राप्त डाटा को 13 दिसंबर तक ‘चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम’ और ‘प्रबंधन पोर्टल’ (2025-26) पर अपडेट किया जाएगा। सभी जिलों से प्राप्त सर्वे की रिपोर्ट को 16 दिसंबर तक जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर सहित राज्य मुख्यालय की ईमेल आईडी पर भेजा जाएगा।
Published on:
20 Nov 2024 11:07 am
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