यूजीसी द्वारा गठित एक समिति अब इन प्रस्तावों की समीक्षा करेगी और एक सप्ताह में परामर्शदातों के पहले बैच की घोषणा की जाएगी। उन्होंने बताया, यूजीसी द्वारा प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद संस्थान परामर्श प्रदान करने का कार्यक्रम आरंभ कर सकते हैं। इस योजना में यह अनिवार्य है कि परामर्शदात्री संस्थान को एनएएसी स्कोर चार में से 3.26 प्राप्त हो। परामर्श योजना के तहत अग्रणी संस्थान कॉलेजों को एनएएसी द्वारा प्रत्यायन प्राप्त करने में मदद करने के लिए नियमित परामर्श प्रदान करेंगे।
अधिकारी ने बताया कि योजना की सफलता का आकलन करने के लिए यूजीसी परामर्श प्राप्त करने वाले संस्थानों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करेगा। उन्होंने कहा, मूल्यांकन यह जानने में लाभकारी साबित होगा कि गैर-प्रत्यायित संस्थानों के प्रत्यायन के लिए किस हद तक परामर्श से लाभ मिला है। परामर्शदात्री संस्थानों को 30 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है। साथ ही, विशेषज्ञ की नियुक्ति करने का भी विकल्प है जिन्हें 31,000 रुपये मासिक फेलोशिप का भुगतान किया जा सकता है। योजना का मकसद भारत के उच्च शैक्षणिक संस्थानों की वैश्विक रैंकिंग में सुधार लाना है।