
ओपी राजभर
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
वाराणसी. Uttar Pradesh Assembly Election 2022 का बिगुल बजने के साथ ही राजनीतिक पार्टियां सियासी समीकरण साधने में जुट गई हैं। खास तौर पर जातीय समीकरण बिठाने का काम तेज हो गया है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को राजभर मतों के बिखरने की चिंता सता रही है। वजह साफ है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में ये राजभर ही थे जिन्होंने झूम कर भाजपा-सुभासपा गठबंधन के पक्ष में मतदान किया था। यों कहें कि राजभर वोटबैंक ने भाजपा को डेढ दशक बाद यूपी के सियासी सिंघासन पर काबिज कराया था तो अतिशयोक्ति न होगी। लेकिन ये गठबंधन बहुत दिनों तक टिक नहीं पाया और ओपी राजभर का बहुत जल्द भाजपा से मोहभंग हो गया और उन्होंने योगी मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया।
भाजपा के खिलाफ आग उगल रहे राजभर
बता दें कि पूर्वांचल जो यूपी के सिंघासन तक पहुंचने का सफल रास्ता है, ओपी राजभर यहीं से हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश में उनका रसूख अच्छा खासा है। यही वजह है कि पूर्व सीएम व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सबसे पहले ओपी राजभर पर ही डोरे डाले और उनके साथ गठबंधन कर लिया। उसके बाद से ओपी राजभर लगातार सपा के मंच पर न केवल दिखाई दे रहे हैं बल्कि भाजपा के खिलाफ आग उगल रहे हैं।
यूपी भाजपा के उपाध्यक्ष मिले ओपी राजभर से चर्चाओं का बाजार गर्म
ओपी राजभर की सियासी ताकत को पहचानते हुए ही भाजपा हर कोशिश में जुटी है कि किसी तरह से राजभर को अखिलेश खेमे से तोड़ कर अपने पाले में किया जाए, ताकि 2017 की कहानी दोहराई जा सके। बताया जा रहा है कि इसी कड़ी में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने ओपी राजभर से मुलाकात कर इस हवा को और तेज कर दिया। बताया जा रहा है कि दयाशंकर सिंह ने राजभर को पुनः भाजपा संग गठबंधन का न्योता दिया है।
ओपी राजभर ने भाजपा से गठबंधन को नकारा
हालांकि ओपी राजभर ने उनके फिर से भाजपा संग गठबंधन की चर्चाओं को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि इस दफा काफी सोच समझ कर समाजवादी पार्टी संग गठबंधन किया है। ऐसे में अब कहीं और जाने का सवाल ही नहीं उठता। कहा कि सपा के साथ सीट बंटवारे का मामला एक-दो दिन में फरिया जाएगा।
बोेेले राजभर, अखिलेश दे रहे सम्मान
दयाशंकर सिंह से मुलाकात के बाबत राजभर का कहना है कि वो मिलने आए थे। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के शीर्ष नेता तक चाहते हैं कि राजभर को बीजेपी से जोड़ा जाना चाहिए। लेकिन मैने उनका प्रस्ताव खारिज कर दिया है। वो कहते हैं कि अखिलेश यादव पूरा सम्मान दे रहे हैं। ऐसे में बीच मझधार में उन्हें छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
Published on:
10 Jan 2022 02:13 pm
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