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प्रवासी मतदाता साबित हो सकते हैं निर्णायक, AIADMK-BJP के पक्ष में जाने की संभावना

Tamil Nadu Assembly Elections 2021: चेन्नई के चार ऐसे विधानसभा क्षेत्र है जहां प्रवासी मतदाताओं की संख्या अधिक है और ये विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते है।

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Tamil Nadu Assembly Elections 2021: North indian voters-game changers

Tamil Nadu Assembly Elections 2021: North indian voters-game changers

चेन्नई.

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव (Tamil Nadu Assembly Elections 2021) के लिए जीत का डंका बजाने के लिए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से प्रचार कर रही है। छोटा-बड़ा राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़े-बड़े लुभावने वादे कर रही है, लेकिन तमिलनाडु विशेषकर चेन्नई के 16 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले चुनाव में उत्तर भारतीयों का खासा प्रभाव देखने को मिल सकता है।

इस बार के विधानसभा चुुनाव (Tamil Nadu Assembly Elections) में ऐसे सियासी समीकरण बन सकते हैं, जिसे देखते हुए प्रवासी मतदाताओं को अनदेखी नहीं की जा सकती है। हार्बर (Harbour), एगमोर(Egmore), अण्णा नगर (Anna Nagar) और पेरम्बूर (Perumbur) में प्रवासी मतदाता कड़े मुकाबले में निर्णायक साबित हो सकते हैं। चेन्नई में हजारों में प्रवासी मतदाता हैं, जो निर्णायक साबित हो सकते हैं। राजस्थान और गुजरात के हजारों लोग दशकों से तमिलनाडु में बसे हैं, जिन्होंने चेन्नई को अपना घर बना लिया है, ऐसे मतदाता विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पेरम्बूर, अण्णा नगर, रेडहिल्स, ताम्बरम और वेलचेरी जैसे क्षेत्रों में बसे हुए है।

AIADMK-BJP के पक्ष में जाने की संभावना
सबसे पहला फैक्टर है तमिलनाडु में एआईएडीएमके बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति प्रवासी मतदाताओं का झुकाव होने की वजह से एआईएडीएमके दल को वोट मिल सकते हैं। पिछले महीनों में पीएम मोदी और बीजेपी के अमित शाह, जेपी नड्डा जैसे वरिष्ठ नेता चेन्नई का दौरा कर चुके है जो मतदाताओं पर असर करेगी। चेन्नई के तीन से चार निर्वाचन क्षेत्र में प्रवासी मतदाताओं का असर देखने को मिल सकता है।

मोदी की लोकप्रियता
पहचान छिपाने की शर्त पर साहुकारपेट के 55 वर्षीय एक व्यवसायी ने बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार और दूसरे राज्यों में भाजपा को जीताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू तमिलनाडु में भी चलेगा। पीएम मोदी पर लोगों का वह "भरोसा" है, जो प्रधानमंत्री में बना हुआ है। उनका कहना है कि भाजपा का पलड़ा दो कारणों से भारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तिगत आकर्षण और विश्वसनीयता तथा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी रणनीति।

एक अन्य व्यावसायी का कहना है कि तमाम तकलीफें झेलने के बाद भी लोग नोटबंदी की प्रशंसा कर रहे थे, मोदी के इस तर्क को स्वीकार कर रहे थे कि काले धन पर चोट करने के लिए और गरीबों को वह सम्मान देने के लिए जिसके वे हकदार हैं, ऐसा करना जरूरी था।