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क्या चलेगा गठबंधन का समीकरण या फिर छाएगा भगवा ध्रवीकरण

UP Assembly Elections 2022 में पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को सुबह से ही शुरू हो जाएगा। ऐसे में सभी पार्टियां मैदान में हैं। पहले चरण के मतदान में 58 विधानसभा सीटों को लेकर चुनाव हो रहा है।

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लखनऊ

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Dinesh Mishra

Feb 09, 2022

File Photo of Top Leaders in UP Assembly Elections 2022

File Photo of Top Leaders in UP Assembly Elections 2022

UP Assembly Elections 2022 पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 सीटों के 608 प्रत्याशियों की किस्मत गुरुवार को ईवीएम में कैद हो जाएगी। 11 जिलों में पिछली बार भाजपा ने सबसे अधिक 53 सीटों पर जीती थी लेकिन इस बार राष्ट्रीय लोकदल और सपा के गठजोड़ ने सारे समीकरण बदल दिए हैं। यहां भाजपा ने एक बार फिर से ध्रुवीकरण पर भरोसा जताया है तो वहीं गठबंधन ने मुस्लिम, जाट और यादव का समीकरण बनाया है। सपा के अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी के जुगलबंदी की भी परीक्षा इसी चरण में होने जा रही है।


इस बीच बसपा ने 20 सीटों पर ऐसी सोशल इंजीनियरिंग की है कि इन मुकाबला बेहद ही दिलचस्प हो गया है। गौरतलब है कि जाट बहुल्य वाले इस इलाके में जाटव वोटों का भी अच्छा खासा दखल है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा की सीटें भले ही बेहद कम हो गई थी लेकिन वोट प्रतिशत में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया। 2012 में यह करीब 26 प्रतिशत था तो 2017 में यह 22.25 पर आ गया। ऐसे में दलित सीटों का स्विंग कई नेताओं की किस्मत बदलने को तैयार है।

शामली— पश्चिमी यूपी का कश्मीर कैराना

तीन विधानसभा सीट वाले इस जिले में कैराना कश्मीर बना हुआ है। मुस्लिम बहुत सीट पर मृगांका सिंह भाजपा से तो रालोद और सपा विधायक नाहिद हसन को उतार जाट और मुस्लिम समीकरण साधने की कोशिश की है। थाना भवन से गन्ना मंत्री सुरेश राणा अपना रण जीतने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। तीनों ही सीटों पर मुकाबला भाजपा बनाम गठबंधन है।

मुजफ्फरनगर— यहां भौकाल मायने रखता है

दंगों और दंबंगों की सरजमीं। जहां भौकाल मायने रखता है। इस कायम रखने के चक्कर में यहां के खेतों में गन्ने कम और लाशों ज्यादा मिलती हैं। ऐसे में सुरक्षा बड़ा मुददा है। छह सीटों पर मुकाबला सपा गठबंधन और भाजपा के बीच ही दिख रहा है। 2013 दंगों से 1 सीट पर सिमटी रोलोद फिर से अपनी जमीन तलाश रही है।खतौली में विक्रम और राजपाल की सीधे टकरा रहे हैं लेकिन बसपा के करतार भड़ाना ने मुकाबले को त्रिकोण बना दिया है। बुढ़ाना में हाजी अनीस ने रूख बदल दिया है।

मेरठ— काली पल्टन वाली गदर का शहर

1857 की गदर का शहर। काली पल्टन वो शहर जहां प्रधानमंत्री मोदी औघड़ बाबा को पूजने पहुंचे। 2022 चुनाव में रालोद के टिकट को लेकर सिवालखास में बगावत हो गई। मान मौनव्वल के बाद अब भाजपा के मनिंदरपाल और गठबंधन प्रत्याशी गुलाम मोहम्मद के बीच मुकाबला है। बसपा के नन्हें प्रधान ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। सरधना से संगीत सोम हवा बना रहे हैं। हस्तिनापुर भी इस बार हस्तियों की परीक्षा लेने के मूड में है। सातों सीटों पर यहां भाजपा और सपा गठबंधन का मुकाबला आमने सामने ही है लेकिन बसपा कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय बना रही है।

बागपत— किसानों की शपथ,जीत का अग्निपथ
छपरौली सीट किसानों की शपथ ने चुनावी समर को बेहद पेंचीदा बना दिया है। छपरौली टिकैत घराने की दबदबे वाली सीट का गढ़ है। यहां बगावत की ध्वनि ने हवा का रूख बदल दिया है। भाजपा ने तीनों सीटों के लिए अलग अलग रणनीति पर काम किया है। सपा गठबंधन यहां अजगर (अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत) रणनीति के साथ दंगल में है तो भाजपा ने अति पिछड़ों, वैश्य, गुर्जर और अन्य वर्गों को साधने में लगी है।

आगरा— दलितों की राजधानी
पेठों के लिए मशहूर और दलितों की राजधानी कहा जाने वाला आगरा यूं तो भगवा रंग में रंगा है। दलितों को साधने के लिए भाजपा ने पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को आगरा ग्रामीण से उतार दिया है। दलितों का वोट हासिल करने के लिए बसपा सुप्रीमों मायावती भी रैली कर चुकी हैं। बांह से रानी पक्षालिका ने उतरकर चुनावी समर के समीकरण को दिलचस्प बना दिया है।

मथुरा...अभी बाकी है
अयोध्या तो झांकी है...मथुरा,काशी बाकी है के नारों से गर्माने की कोशिश की बीच मथुरा का रंग बहुत नहीं बदला है। आठ बार से विधायक श्याम सुंदर शर्मा मांठ से तो मंत्री श्रीकांत शर्मा का मथुरा से मैदान में हैं।पांचों सीटों पर भाजपा, बसपा और गठबंधन का मुकाबला है।

अलीगढ़...सियासी ताला,तकरीरों का निवाला
तालों और तकरीरों के लिए मशहूर अलीगढ़ राजा महेंद्र प्रताप सिंह के विरासत के रूप में तब्दील होने के लिए बेचैन है। मुस्लिमों के गढ़ अलीगढ़ में बसपा ने रजिया खान को टिकट देकर सपा गठबंधन के जफर अलाम को टक्कर देने की कोशिश की है। भाजपा ने यहां मुक्ताराज को उतारा है। अतरौली से कल्याण सिंह की विरासत संभाल रहे मंत्री संदीप सिंह की भी परीक्षा है। अतरौली को छोड़ छह सीटों पर मुकाबला गठबंधन और बसपा के बीच दिख रहा है। भाजपा अन्य पर स्थिति त्रिकोणीय बना रही है।