फिल्म समीक्षा:’तेरा सुरुर’में हिमेश ने फिर किया एक्टिंग में निराश
फिल्म 'तेरा सुरुर' देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म के रिलीज होने के पहले दिन दर्शकों ने इसे थ्री स्टार दिए है। हिमेश ने एक बार फिर से अपनी पिछली गलतियों से कुछ नही सीखा। और ना ही वो कुछ खास एक्टिंग की छाप छोड़ पाए।
फिल्म 'तेरा सुरुर' देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म के रिलीज होने के पहले दिन दर्शकों ने इसे थ्री स्टार दिए है। हिमेश ने एक बार फिर से अपनी पिछली गलतियों से कुछ नही सीखा। और ना ही वो कुछ खास एक्टिंग की छाप छोड़ पाए। हिमेश ने अपने एक हिट गाने को ही अपनी फिल्म का 'तेरा सुरुर' नाम दे दिया। फिल्म की अगर बात की जाए तो यह एक थ्रिलर फिल्म है, लेकिन फिल्म में थ्रिल जैसा कुछ भी नही है। 1 घंटे 46 मिनट की यह फिल्म भी आपको लम्बी लग सकती है।
क्या है कहानी?
फिल्म में लीड रोल में हिमेश रेशमिया रघु का किरदार निभा रहे है। उसकी गर्लफ्रेंड तारा (फराह करीमी) रूठ कर डबलिन (आयरलैंड) चली जाती है। वहां तारा के साथ षड्यंत्र होता है। ड्रग्स रखने के आरोप में पुलिस उसे गिरफ्तार कर सात साल के लिए जेल में डाल देती है। अपनी प्रेमिका को बचाने के लिए रघु डबलिन पहुंचता है। वो तारा को जेल से भगाकर बचाना चाहता है साथ ही उस शख्स को खोजता है जिसने तारा को ड्रग्स के मामले में फंसाया। इस पूरे मिशन में रघु की मदद एए खान (कबीर बेदी), राजवीर कौल (शेखर कपूर) और रॉबिन सेंटिनो (नसीरुद्दीन शाह) करते हैं।
तारा को बचाने के लिए लिए रघु, रॉबिन की मदद लेता है जो कई जेल तोड़ कर भाग चुका है। रॉबिन उसकी मदद के लिए क्यों तैयार हो जाता है। लेकिन रॉबिन रघु की मदद करने के लिए क्यूं तैयार हो जाता है यह पूरी फिल्म में समझ नही आता।
सब टाईटल से बिगड़ा खेल
फिल्म के लेखक और निर्देशक ने डबलिन को शायद कुछ ज्यादा ही ओपन जगह समझ लिया है। जहां पर नायक सरेराह हत्याएं करता है, सड़कों पर गोलिया दागता है, लेकिन नायक के खिलाफ ना तो वहां की पुलिस कोई कार्रवाई करती है, ना ही कोई और। फिल्म का क्लाईमेक्स भी कुछ खास नही है। अंत में निराशा ही हाथ लगती है। तारा को फंसाने वाले पर से जब पर्दा उठता है तो एक बार फिर दर्शक निराश ही होता है। देशभक्ति के नाम पर भी एक-दो सीन हैं जो कहानी में बिलकुल फिट नहीं होते। कुछ अंग्रेजी संवादों के हिंदी में सबटाइटल दिए गए हैं, जिसमें ढेर गलतियां हैं।
फिल्म में नही हिमेश का नही छाया जादू
निर्देशक शॉन अरान्हा ने फिल्म को आकर्षक लुक देने की कोशिश की है। साथ ही शायद वो इस बात से पूरी तरह से परिचित थे कि हिमेश अभिनय में कितने कमजोर है। और शायद इसी लिए फिल्म में हिमेश की झोली में डॉयलॉग्स की बरसात कम ही हुई है। हिमेश रेशमिया फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी साबित हुए हैं। पूरी फिल्म में उनके चेहरे पर एक जैसे भाव के चलते दर्शक बोर ही हो जाते है। फिल्म की हीरोइन फराह करीमी ने कमजोर अभिनय के मामले में हिमेश को कड़ी टक्कर दी है। पूरी फिल्म में एक सवाल जो खड़ा हुआ, वो यह है कि बॉलिवुड में नसीरुद्दीन शाह, कबीर बेदी और शेखर कपूर की अपनी अलग पहचान है। लेकिन इस पहचान के बावजूद भी तीनों ने ही इतने छोटी भूमिका क्यूं अदा की? गानों ने बांधा समां
इस फिल्म में अगर किसी ने दर्शकों को अपनी ओर खींचा है, तो वो है इस फिल्म के गाने। फिल्म के कुछ गाने हिट भी हुए। सिनेमाटोग्राफी, एडिटिंग, बैकग्राउंड म्युजिक बेहतरीन है।
कुल मिलाकर 'तेरा सुरूर' दर्शकों पर कोई छोप नहीं छोड़ पाई।