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Movie Review: महिलाओं के वजूद को दर्शाती ‘अकीरा’

अधिकतर तमिल फिल्मों के निर्देशन की कमान संभालते आए निर्देशक-निर्माता बी-टाउन इंडस्ट्री में यह तीसरी फिल्म है। उन्होंने अपनी जी-तोड़ मेहनत से साबित करने की पूरी कोशिश की है कि फिल्में चाहें जिस किसी भी भाषा की हो, बस निर्देशन की बेहतरीन समझ होनी चाहिए।

Sep 02, 2016 / 02:58 pm

Kamlesh Sharma

akira

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अधिकतर तमिल फिल्मों के निर्देशन की कमान संभालते आए निर्देशक-निर्माता बी-टाउन इंडस्ट्री में यह तीसरी फिल्म है। उन्होंने अपनी जी-तोड़ मेहनत से साबित करने की पूरी कोशिश की है कि फिल्में चाहें जिस किसी भी भाषा की हो, बस निर्देशन की बेहतरीन समझ होनी चाहिए। उन्होंने अपने अंदाज में इस महिला प्रधान फिल्म में एक्शन और थ्रिलर का धमाकेदार तड़का भी लगाया है। 
कहानी : 

फिल्म की कहानी राजस्थान के एक नगर जोधपुर से शुरू होती है। वहां आए दिन कुछ मनचले लड़के रोजाना लड़कियों को छेड़ते थे और न मानने पर उन पर एसिड फेंक दिया करते थे। फिर पिता अतुल कुलकर्णी अपनी बेटी अकीरा (सोनाक्षी सिन्हा) को मजबूत बनाने के लिए उसे ताइक्वांडो की ट्रेनिंग दिलाते हैं। फिर एक दिन वह अपने पिता अतुल कुलकर्णी के साथ जा रही होती है तो उसे लड़कियों पर एसिड फेंकने वाले लड़के दिख जाते हैं और वह उन्हें सबक सिखाते हुए एक लड़के पर एसिड दाल देती है। इस पर उसे बचपन में ही 3 साल की कैद जो जाती है। 
फिर जब वह वापस आती है तो उसे कैरियर बनाने के लिए मुंबई भेज दिया जाता है। वहां एक कॉलेज में अकीरा का एडमिशन हो जाता है और वह घर में भाई के यहां रहने की बजाय कॉलेज के हॉस्टल में ही रूम नंबर 17 में रुकने का फैसला करती है, जिस रूम में पहले ही किसी स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया था। फिर एक रात को अकीरा के होली क्रॉस कॉलेज के एक प्रोफेसर को मुंबई के एक करप्ट पुलिस अफसर अनुराग कश्यप नशे में 2 थप्पड़ जड़ देते हैं। इस पर दूसरे दिन एक स्टूडेंट और वो प्रोफेसर मुंबई सेंट्रल पुलिस स्टेशन में अनुराग के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जाता है, लेकिन उनकी नहीं सुनी जाती जाती। 
इस पर कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स मुंबई पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस बल के सामने कोई नहीं टिक पाता, लेकिन अकीरा वहां से टस से मस तक नहीं होती और कमिश्नर को वो फाइल दे देती है। वहां अकीरा (सोनाक्षी सिन्हा) बचपन में स्कूल के दिनों आये दिन छेड़-छाड़ करने वाले लड़कों से तंग आकर ताइक्वांडो सीखती है, फिर एक दिन वह अपने पिता अतुल कुलकर्णी के साथ जा रही होती है तो उसे लड़कियों पर एसिड फेंकने वाले लड़के दिख जाते हैं और वह उन्हें सबक सिखाते हुए एक लड़के पर एसिड दाल देती है। इस पर उसे 3 साल की कैद जो जाती है। 
फिर जब वह वापस आती है तो उसे कैरियर बनाने के लिए भाई अजय के यहां मुंबई भेज दिया जाता है। वहां एक कॉलेज में अकीरा का एडमिशन हो जाता है और वह घर में भाई के यहां रहने की बजाय कॉलेज के हॉस्टल में ही रूम नंबर 17 में रुकने का फैसला करती है, जिस रूम में पहले ही किसी स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया था। फिर एक रात को अकीरा के होली क्रॉस कॉलेज के एक प्रोफेसर को मुंबई के एक करप्ट पुलिस अफसर अनुराग कश्यप नशे में 2 थप्पड़ जड़ देते हैं। 
इस पर दूसरे दिन एक स्टूडेंट और वो प्रोफेसर मुंबई सेंट्रल पुलिस स्टेशन में (गोविंद राणे) अनुराग के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जाता है, लेकिन उनकी नहीं सुनी जाती जाती। इस पर कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स मुंबई पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस बल के सामने कोई नहीं टिक पाता, लेकिन अकीरा वहां से टस से मस तक नहीं होती और कमिश्नर को वो फाइल दे देती है। वहीं दूसरी तरफ राणे की प्रेमिका एक मर्डर केस और उससे बरामद करोड़ों रुपये की बात वीडियो कैम में रिकॉर्ड कर लेती है। इस पर राणे और दो पुलिस वाले मिलकर उसकी हत्या कर देते हैं। 
इस केस को हैंडल करने के लिए राबिया सुल्तान (कोंकणा सेन शर्मा) आती है, जो प्रेग्नेंट होने के अलावा ईमानदार पुलिस ऑफिसर होती है। अब शर्मा के शक के दायरे में राणे और उसकी टीम आ जाती है। इधर उस वीडियो कैमरा की खोज में धोखे से पुलिस अकीरा को उठा लाती है। फिर उसके साथ दो और लोगों को पुलिस इनकाउंटर करने के लिए एक सुनसान जगह ले जाती है और वहां दो को पुलिस जबरन मार डालती है , लेकिन अकीरा वहां से भाग निकलती है और वह सब कुछ अपने प्रोफेसर को बता देती है। इसी के साथ कहानी में गजब का ट्विस्ट आता है और फिल्म आगे बढ़ती है। 
अभिनय : 

इंडस्ट्री में दबंग गर्ल के नाम से अपनी अलग पहचान बना चुकीं सोनाक्षी सिन्हा ने अकीरा शर्मा का किरदार बखूबी निभाया है। उन्होंने अपने अभिनय में किसी तरह की कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी दिखीं। कोंकणा सेन शर्मा एक पुलिसकर्मी की भूमिका में सटीक रहीं। अनुराग कश्यप अपने ही निराले अंदाज में नजर आए और उन्होंने एक करप्ट पुलिसवाले की भूमिका को बारीकी से दिखाने की कोशिश की है। टीना सिंह, अमित साध ने भी अपने-अपने किरदार को बहुत सही से जिया है। लोकिश विजय गुप्ते और मिषिका अरोड़ा सभी का साथ देते दिखाई दिए। इसके अलावा राई लक्ष्मी और अक्षय कुमार अपनी कुछ देर की भूमिका में ही दर्शकों पर अपनी छाप छोडऩे में कई मायनों में सफल से नजर आए। 
निर्देशन : 

‘गजनी’, ‘हॉलीडे…’ के बाद बी-टाउन की इस फिल्म में लोगों को आकर्षित करने के लिए एआर मुरुगादॉस ने अपने निर्देशन में हर तरह का एक्सपेरिमेंट किया है। उन्होंने जहां एक महिला को एक्शन अवतार में दिखाया है, वहीं अपने गजब अंदाज से उन्होंने फिल्म में काफी मसाला भी परोसा है। उन्होंने फिल्म में थ्रिलर और इमोशन की अच्छी कमान संभाली और वे काफी हद तक सफल भी रहे। अपने निर्देशन में कोई कोर-कसर बाकी न रखते हुए उन्होंने इसमें हर तरह के प्रयोग भी किए हैं। एक्शन फिल्म में एआर ने वाकई में कुछ अलग करने की कोशिश की है, इसीलिए वे ऑडियंस की वाहवाही लूटने में कई मायनों में सफल रहे। फिल्म फर्स्ट हाफ में तो ठीक-ठाक चलती है, लेकिन सेकंड हाफ में कहानी थोड़ी लड़खड़ाती हुई नजर आती है।
बहरहाल, ‘बम्बू कर दिया इसने…’ और ‘लक्ष्मी सामने से दर्शन देने को तैयार है और तुम हो कि लाइन में ही खड़े रहना चाहते हो…’ जैसे कुछ एक डायलॉग्स की तारीफ की जा सकती है, लेकिन अगर सिनेमेटोग्राफी और टेक्नोलॉजी अंदाज को छोड़ दिया जाए तो इस फिल्म के कॉमर्शिल अंदाज में कुछ और खास करने की थोड़ी कमी सी महसूस हुई। इसके अलावा फिल्म की जरूरत के हिसाब से संगीत (विशाल-शेखर) तो काफी हद से सफल रहा, लेकिन गीत (सोनाक्षी सिन्हा, विशाल डडलानी, अरिजीत सिंह, शेखर रावजिआनी, नाहिद आफरिन, सुनिधि चौहान) की तुलना में थोड़ा और बेहतर किया जा सकता था।
बैनर : एआर मुरुगादॉस प्रोडक्शंस, फॉक्स स्टार स्टूडियोज

निर्माता : एआर मुरुगादॉस

निर्देशक : एआर मुरुगादॉस

जोनर : थ्रिलर

संगीतकार : विशाल-शेखर

गीतकार : सोनाक्षी सिन्हा, विशाल डडलानी, अरिजीत सिंह, शेखर रावजिआनी, नाहिद आफरिन, सुनिधि चौहान
स्टारकास्ट : सोनाक्षी सिन्हा, कोंकणा सेन शर्मा, अनुराग कश्यप, टीना सिंह, अमित साध, उर्मिला महांता, अतुल कुकर्णी, लोकेश विजय गुप्ते, मिषिका अरोड़ा, राई लक्ष्मी, अक्षय कुमार,

रेटिंग : *** स्टार

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