
Indus Echoes-Sindhi language feature film
Indus Echoes-Sindhi language feature film: क्षेत्रीय सिनेमा इन दिनों काफी चर्चा में है। ऐसे में पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री और दक्षिण कोरिया का इक्वाडोर प्रोडक्शन हाउस ऐसे प्रोजेक्ट की तैयारी कर रहे हैं जो किसी सिनेमाई पुनरुद्धार से कम नहीं है। 26 वर्षों में पहली बार ‘इंडस इकोज’ नाम की सिंधी फिल्म बनाई जा रही है। राहुल ऐजाज इस फिल्म के निर्देशक हैं। राहुल ने इस फिल्म को लेकर पत्रिका से खास बातचीत की। इस फिल्म में वजदान शाह, अंसार महार और समीना सेहर किरदार में हैं। राहुल वर्तमान एक और नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जो फिर से सिंधु नदी पर ही आधारित होने वाली है। वह मानते हैं कि सिंधी फिल्में बनाने से पाकिस्तान में सिंध सिनेमा का पुनर्जन्म हो सकता है। वर्ष 2020 में उन्होंने ‘द ट्रेन क्रॉसेज द डेजर्ट’ नामक एक शार्ट फिल्म भी बनाई थी जो पाकिस्तान की पहली सिंधी शार्ट फिल्म है। इसे भारत में जयपुर फिल्म फेस्टिवल जैसे प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में प्रदर्शित किया गया था।
भारतीय सिनेमा स्वतंत्र
भारतीय सिनेमा और पाकिस्तानी सिनेमा की तुलना को राहुल यह कहते हुए सिरे से नकार देते हैं कि भारतीय सिनेमा सबसे पुरानी इंडस्ट्री है और ऐसा कोई सप्ताह नहीं होता जिस दिन भारतीय सिनेमा में कोई फिल्म रिलीज न हो। वह कहते हैं कि भारतीय सिनेमा स्वतंत्र है और इस इंडस्ट्री के लोगों ने खुद के काम से इसे सिद्घ किया है। राहुल का मानना हैं कि पाकिस्तानी क्षेत्रीय सिनेमा को जीवित करने का काम काफी जोखिम भरा है और ऐसी क्षेत्रीय फिल्मों के खरीदार भी ना के बराबर ही होते हैं। वहीं राहुल अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहते हैं कि पाकिस्तानी सिनेमा के कमजोर होने का कारण 1980 के दशक में जीया ऊल हक का शासन है।
बलूचिस्तान और सिंध के लिए कोई नहीं
बलूचिस्तान के रीजनल सिनेमा और सिंधी सिनेमा को वह कई मामलों में समान मानते है। वह कहते हैं कि दोनों क्षेत्रों के बारे में कोई भी नहीं सोचता है। हालांकि देश में होने वाले भेदभाव से रीजनल सिनेमा को काफी नुकसान होता है। वहीं फिल्मों के बैन करने पर राहुल कहते हैं कि किसी भी कलाकार की कला को सीमाओं से नहीं बांधना चाहिए। इंसान से इंसान नहीं मिल सकता है लेकिन उसकी कला सरहद पार उससे जरूर मिल सकती है। राहुल भारतीय कला और सिनेमा के बहुत बड़े फैन हैं। वह कहते है कि हम सब एक ही संस्कृति के साथ बड़े हुए हैं। हम एक भाषा, एक कला और एक जैसा खाना साझा करते हैं, इसलिए हमें कोई बांट नहीं सकता है। मैं भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं कि पत्रिका के माध्यम से मैं अपनी बात अपने दूसरे घर भारत में भी पहुंचा पा रहा हूं।
Published on:
10 Aug 2023 01:50 pm
बड़ी खबरें
View Allमनोरंजन
ट्रेंडिंग
