
जानलेवा बीमारी की चपेट में गुजरात के शेर
दिनेश शाक्य
्रइटावा. गुजरात के मशहूर गिर अभयारण्य में खतरनाक कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) और प्रोटोजोवा संक्रमण के कारण अब तक 23 शेरों की मौत हो चुकी है। 26 शेरों वाले इस अभायरण्य में अब केवल तीन ही शेर बचे हैं। लगातार शेरों की मौत से गिर प्रशासन सकते में है। बचे शेरों को बचाने के लिए प्रशासन हर संभव कोशिश में लगा है। इसी क्रम में इटावा के जंगल सफारी से पशु चिकित्सा विशेषज्ञों को गुजरात बुलाया गया है। यह डॉक्टर गिर के राजा की जान बचाएंगे।
कुछ साल पहले इटावा के लायॅन सफारी में भी कैनाइन डिस्टेंपर नामक यह बीमारी फैली थी। तब कई शेर मर गए थे। उस वक्त बीमारी पर काबू करने के दौरान यहां के डॉक्टरों ने एक वैक्सीन पर प्रयोग किया था। जो काफी कामयाब रही। इसी के बाद यहां के डॉक्टरों की अहमियत बढ़ गई। इटावा सफारी पार्क के निदेशक वीके सिंह कहते हैं कि गुजरात के शेरों को इस खतरनाक बीमारी से बचाने के लिए हमारे डॉक्टरों की टीम को गुजरात बुलाया गया है।
वीके सिंह के मुताबिक गुजरात स्थित गिरि फारेस्ट के जूनागढ़ में शेरों में भी वही खतरनाक कैनाइन डिस्टेम्पर (सीडी) फैली है जिससे इटावा लायन सफारी के कई शेरों की मौत हुई थी। तब इस बीमारी से निपटने के लिए विदेशी विशेषज्ञों की मदद ली गई थी। उनके सहयोग से सफारी पार्क के डॉक्टर इतने एक्सपर्ट हो गए है कि वो गुजरात के शेरों में फैली बीमारी का इलाज करने गए हैं। आज की तारीख में इस जानलेवा बीमारी का उपचार इटावा सफारी के डॉक्टरों के पास ही है। इस बीमारी से इटावा में भी चार शेरों की मौत हो गई थी। तब यहां के चिकित्सकों ने इस बीमारी का इलाज ढूंढा था।
जूनागढ़ पहुंची चिकित्सकों की टीम
सफारी के चिकित्सक डॉ. गौरव श्रीवास्तव कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी के एक्सपर्ट माने जाते हैं। इसीलिए गुजरात सरकार के अनुरोध पर डॉ. गौरव श्रीवास्तव व फार्मासिस्ट सुयश कुमार जूनागढ़ भेजे गये हैं।
इटावा सफारी में गुजरात के शेर
इटावा सफारी में विष्णु व लक्ष्मी का गुजरात से इतर प्रदेश से लाया गया था। इनके अलावा बाकी सभी शेर व शेरनी गुजरात के ही हैं। अगले कुछ दिनों में गुजरात से तीन शेरनी व दो शेर और लाए जाने हैं।
इटावा के शेर सुरक्षित
कैनाइन डिस्टेम्पर जानलेवा बीमारी है। इसकी चपेट में आने के बाद शेरों का बचना काफी मुश्किल हो जाता है। इटावा सफारी की शेरनी कुंवरि एक मात्र ऐसी शेरनी है जो कैनाइन डिस्टेम्पर से मुक्त हुई थी। इसके बाद कैनाइन डिस्टेम्पर से शेरों को बचाने के लिए चिकित्सकों ने एक वैक्सीन बनाई, जिसे सफारी के सभी शेरों को दिया गया है। अब इटावा के शेर सुरक्षित हैं।
क्या है कैनाइन डिस्टेंपर वायरस
कैनाइन डिस्टेंपर बेहद खतरनाक संक्रामक वायरस है। इसे सीडीवी भी कहा जाता है। इस बीमारी से ग्रसित जानवरों का बचना बेहद मुश्किल होता है। यह बीमारी मुख्यत: कुत्तों में पाई जाती है। हालांकि कैनाइन फैमिली में शामिल रकून, भेडिय़ा और लोमड़ी में भी यह बीमारी पाई जाती है। कुत्तों के जरिए यह वायरस दूसरों जानवरों में भी फैल जाता है। शुरू में यह वायरस कुत्तों के टॉन्सल, लिंफ (नसों में बहने वाला खास तरल) पर हमला करता है।
बीमारी के लक्षण इस वायरस से ग्रसित होने के करीब एक सप्ताह में सामने आता है। इसके बाद यह बीमारी कुत्ते के श्वास नली, किडनी और लिवर पर हमला कर देता है। कुछ दिन में इसके वायरस मस्तिष्क तंत्रिका में पहुंच जाते हैं और कुत्तों की मौत हो जाती है। हाई फीवर, लाल आंखें तथा नाक और कान से पानी बहना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है। इसके अलावा कफ, उल्टी और डायरिया भी हो सकता है। इस बीमारी के कारण कुत्ते सुस्त पड़ जाते हैं।
Published on:
03 Oct 2018 03:59 pm
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