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इटावा

पिता की मौत के बाद दो बेटियों ने उनकी यह इच्छा की पूरी, किया ऐसा काम कि हर कोई कर रहा सलाम

उत्तर प्रदेश के इटावा में दो सगी बहनों ने अपने पिता की इच्छा पूरी करते हुए उनकी चिता को मुखाग्नि दी और अपने कर्तव्यो को पूरा कर मिसाल कायम की.

इटावाJun 01, 2019 / 08:10 pm

Abhishek Gupta

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इटावा. हाल में अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने करीबी व लोकसभा चुनाव में उनकी जीत में बड़ी भूमिका निभाने वाले भाजपा कार्यकर्ता व पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की मृत्यु पर उनकी अर्थी को कंधा दिया था। इस बात ने सम्पूर्ण जिले ही नहीं बल्कि प्रेदश व देश को भावुक कर दिया और स्मृति ईरानी को लोगों ने सलाम भी किया। ऐसा ही कर्तव्य इटावा में दो सगी बहनों ने निभाया जिसका समाज पर दूरगामी और गहरा प्रभाव पड़ेगा। अपने पिता की इच्छा पूरी करते हुए दोनों बेटियों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया अंत में चिता को मुखाग्नि दी। यह देख घाट पर सभी की आंखें नम हो गईं। सभी ने बेटियों के साहस को सलाम किया। और इसकी सराहना भी की।
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यहां का है मामला-

सराय शेख निवासी विनय जैन छह वर्षों से बीमार थे, उनका आगरा में इलाज चल रहा था। शुक्रवार सुबह उनकी मौत हो गई। उनकी दो बेटियां हैं, कोई पुत्र नहीं है। ऐसे में बेटियों ने साहस दिखाते हुए पिता की अर्थी को कंधा दिया और यमुना घाट पर वैदिक रीति-रिवाज के साथ पिता का अंतिम संस्कार भी किया। बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा श्रेयांशी व बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा प्रियांशी जैन अपने पिता की मौत के बाद विचलित नहीं हुईं। बल्कि अपनी मां को ढांढस देकर हिम्मत बंधाई।
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मुखाग्नि देते समय नहीं लगा कोई डर-

बेटी श्रेयांशी व प्रियांशी का कहना है कि उनके पिता की इच्छा थी कि उनकी चिता को मुखाग्नि हम ही दें। हमने अपना फर्ज निभाया है। पिता की इच्छा यह भी थी कि हम आगे चलकर उनका नाम रोशन करें। अब वह अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं और आगे चलकर पिता का नाम भी रोशन करना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि मुखाग्नि देते समय दोनों बहनों के मन में किसी तरह का डर नहीं था।
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बेटियों ने दिया बड़ा संदेश-

इटावा के के.के. कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा.शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि दोनों बेटियों ने अपने पिता के अंतिम संस्कार कर अहम भूमिका का निर्वाहन करते हुए एक बड़ा संदेश दिया है। इससे एक बात साबित होती है कि पहले कभी रूढिवादिता के चलते महिलाओं को इस पंरपरा से दूर रखा जाता था, लेकिन आज जागरूकता ने इसको दूर करके अपने आप को साबित करने का मौका दिया है।
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