
इटावा. उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच आवागमन का एक मात्र आसान माध्यम चंबल नदी पर बने पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद शुक्रवार दोपहर 12 बजे के बाद से आवागमन बंद कर दिया गया। लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय मार्ग खंड शाखा के अधिशाषी अभियंता एम.सी.शर्मा ने दोपहर इटावा के एसएसपी अशोक त्रिपाठी से उनके कार्यालय में मुलाकात कर पुल टूटने की जानकारी अधिकारिक तौर पर दी जिसके परिपेक्ष्य में पूरे मामले को समझने के बाद एसएसपी ने सबंधित अफसरो को पुल पर आवगमन बंद करने के सिलसिले मे निर्देश जारी किए।
एसएसपी अशोक त्रिपाठी ने बताया कि चंबल पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय मार्ग खंड शाखा के अधिशाषी अभियंता एम.सी.शर्मा ने पुल से संबधित तौर पर पूरी जानकारी दस्तावेजी तौर पर दी। जिसके क्रम मे चंबल पुल से आवगमन को बंद किया गया है। संबधित पुलिस अफसरों को पुल दुरूस्तीकरण तक निर्देशों का पालन पूरे तरह से करने के निर्देश भी दिये गये हैं।
अधिशाषी अभियंता मुकेश चंद्र शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय मार्ग संख्या 92 इटावा भिंड ग्वालियर मार्ग के चंबल पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने कारण संपूर्ण यातायात आज से मरम्मत कार्य पूर्ण होने तक बंद कर दिया गया। इस दौरान मध्यप्रदेश के भिंड की ओर जाने वाले समस्त वाहन जालौन अथवा शिकोहाबाद होते हुए भिंड जाएंगे या उदी चौराहे से चकरनगर सहसो फूफ होते हुए भिंड जाएंगे तथा भिंड से आगरा कानपुर की ओर जाने वाले सभी वाहन शिकोहाबाद अथवा जालौन होते हुए जाएंगे या फूप सहसो चकरनगर से उदी चौराहे होते हुए इटावा आएंगे।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश को जोडऩे वाला ग्राम उदी के पास स्थित चंबल पुल क्षमता से अधिक वाहनों के निकलने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। पिलर संंख्या 8 के दक्षिणी बीम के नीचे स्थापित रोलर बेयरिंग टूटने की आशंका जताई गई है। बीम का काफी हिस्सा नीचे बैठने के साथ उसमें गैप हो गया है। पुल के बीम व पिलर को जोडऩे वाले हिस्से में गैप होने के साथ कुछ हिस्सा नीचे की ओर खिसक गया है।
2016 अप्रैल में भी दक्षिणी हिस्से को जोडऩे वाला क्षतिग्रस्त हो गया था। करीब एक माह तक बंद रहने के बाद पुल चालू किया गया था। लगातार खराब हो रही दशा के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने करीब 2 साल पहले 21 लाख रुपये जारी करके चंबल पुल की मरम्मत शुरू कराई थी।
दर्जनों बार क्षतिग्रस्त हो चुका है
ग्वालियर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग-92 पर अत्यंत महत्वपूर्ण है। करीब चार दशक पूर्व स्थापित इस पुल की क्षमता 20-25 टन वजन सहने की थी। बीते दशक से बालू तथा गिट्टी भरे करीब 70- 80 टन वजन के वाहनों और डंपरों के बेतहाशा संचालन से यह पुल दर्जनों बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस बार दोनों ओर की एप्रोच धसक गई, इससे पुल जर्जर हालत में आ गया। शासन ने मरम्मत के लिए 21 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत कर निर्माण भी करवा दिया, लेकिन लगातार ओवर लोडिंग ने पुल का जर्जरता के मुहाने पर ला खड़ा किया।
स्टीमर और नावों का प्रयोग करना पड़ता था
चार दशक पूर्व चंबल पुल का निर्माण न होने तक इटावा-भिंड आने-जाने के लिए स्टीमर और नावों का प्रयोग करना पड़ता था। 1970 के आसपास चंबल पुल का लोकार्पण होने पर दोनों राज्य एक-दूसरे से परस्पर जुड़ गए थे। इससे आवागमन तो सहज हुआ ही साथ व्यापारिक और सामाजिक रिश्ते और ज्यादा मजबूत हुए। तत्कालीन इंजीनियरों ने इस पुल का निर्माण कराने के दौरान अनुमान लगाया था, ज्यादा से ज्यादा बीस-पच्चीस टन वजनी वाहन आवागमन करेंगे। इसी क्षमता के अनुरूप पुल का निर्माण कराया था। बेतहाशा ओवर लोडिंग ने इंजीनियरों के अनुमानों को पलीता लगा दिया। डंपर और ट्राला ट्रकों के माध्यम से तीस से अस्सी टन वजन के वाहन इस पुल से गुजरने लगे। इसके चलते पुल के कई बार खंभों के नीचे लगे बेयरिंग टूटे। खामियाजा आम लोगों को ही भुगतना पड़ा। कई-कई दिनों तक पुल वाहनों को आवागमन बंद रहा, जनता को पैदल ही पुल पार करना पड़ा।
दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा
पुल के दोनों ओर भारी वाहनों की वजह से स्लैब सड़क काफी बैठ गई है। इसके अलावा पुल की दोनों साइड जर्जर हो गई हैं। इससे पुल नाजुक हालत में पहुंच गया है ।यदि भारी वाहनों को आवागमन इसी तरह होता रहा तो किसी भी दिन पुल ध्वस्त हो सकता है। इससे आम जनता को आवागमन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
इलाकाई लोगो का कहना है कि पुल पर भारी वाहनो के गुजरने का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है । जरूरत इस बात की है कि पुल पर से भारी वाहनो के गुजरने पर पहले रोक लगाई जाये उसके बाद पुल की मरम्मत का काम किया जाये तो यह पुल लोगो को फायदा दे सकता है अन्यथा किसी ना किसी दिन बडा हादसा पेश आ सकता है।
Published on:
11 May 2018 08:25 pm
बड़ी खबरें
View Allइटावा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
