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इस मंदिर में एक नहीं हजारों संख्या में है भोलेनाथ, होगी सारी मनोकामना पूरी

इस मंदिर में एक नहीं हजारों संख्या में है भोलेनाथ, होगी सारी मनोकामना पूरी

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Ruchi Sharma

Jul 10, 2017

etawah

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इटावा. भोलेनाथ को सबसे प्रिय महीना श्रावन के महीने में पड़ने वाली फुहार प्रकृति में नवजीवन का संचार करती है। यह फुहार बारिश के रूप में ही नहीं पड़ती, दैवीय आशीर्वाद के रूप में भी हम पर बरसती है। जिला का प्रख्यात शिव मन्दिर सरसई नावर में सावन के पहले सोमवार को भक्तगणों की उमड़ी भीड़। इस मन्दिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने फूल-पाती चढ़ा कर पूजा-अर्चना की। बताया जाता है कि यह प्राचीन शिव मन्दिर है। इस मन्दिर में एक हजार शिवलिंग है। यह इटावा जिला का एक मुख्य पर्यटक स्थल है।


महन्त सियाराम दास ने बताया कि इस महीने में शिव की कृपा के रूप में दैवीय ऊर्जा बरसती है। उन्होंने कहा कि सोमवार को व्रत में शिवलिंग के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। जहां अन्य देवों को प्रसन्न करने के लिए कठोर नियम-संयम की आवश्यकता होती है, वहीं भोलेनाथ के बारे में मान्यता है कि वह एक लोटे जल और बिल्वपत्र और धतूरे से ही प्रसन्न होकर भक्तगणों की सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। शिव के जलाभिषेक के रहस्य के बारे में हमारे धार्मिक ग्रंथों में एक रोचक कथा का उल्लेख मिलता हैं। कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान उपजे हलाहल विष के पीने के कारण शिव के शरीर में गर्मी पैदा हो गई।


तब देवताओं ने मस्तिष्क पर जल-धार और विल्व पत्र अर्पित कर उनके शरीर की गर्मी को शांत किया था। इससे भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए। तभी से भगवान शिव को जलधार और बिल्व अर्पित कर प्रसन्न करने की परंपरा विकसित हुई।श्रावण सोमवार व्रत के अंतर्गत इस महीने में पड़ने वाले सोमवार को व्रत रखा जाता है। यह व्रत पांच सोमवारों तक किया जाता है। महंत ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि श्रावण महीने में श्रावण सोमवारों के दिन व्रत लेने से पूरे साल भर के सोमवार व्रत का पुण्य मिलता है।



ऐसे तो प्रत्येक दिन पाक और पवित्र है। हर दिन ईश्वर की साधना और भक्ति के लिए बना है, लेकिन सावन के सोमवार का विशेष महत्व है,सावन के सोमवार व्रत की महिमा अनंत है, अपरंपार है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के घर पर शरीर त्यागने से पहले भगवान भोलेनाथ को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण भी किया था। अपने दूसरे जन्म में माता पार्वती ने सावन(श्रावण) माह में ही निराहार रह कर कठोर तप साधना की थी और भगवान शिव को पति स्वरूप पाया था। तभी सावन का महात्म्य अति विशेष हो गया और संपूर्ण सृष्टी शिवमय हो गई।


कहते हैं कि सावन (श्रावण) में जो भी विवाह योग्य लड़कियां इच्छित वर पाने के लिए सभी श्रावण सोमवार का व्रत रखती हैं,उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। सोमवार के व्रत में भगवान शिव के अलावा शिव परिवार यानि माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी और गणेश जी की भी पूजा अर्चना की जाती है। सावन के व्रत सभी साधक चाहे वो स्त्री हों या पुरुष सभी रख सकते हैं।ऐसे भी सोमवार को उपवास रखना हमारे धर्म शास्त्रों में श्रेष्ठ बतलाया गया है।


श्रावण(सावन)में कैसे करें शिव पूजन

सावन(श्रावण) के प्रथम सोमवार के दिन प्रात: और सायंकाल स्नान के बाद,भगवान शिव की सपरिवार पूजा करें।विशेष ध्यान रखें कि पूजा पूर्वामुखी या उत्तर दिशा की ओर होकर ही करें।कुश का आसन उपयोग मे लाएं और बैठकर पूजा करें। पंचामृत(दूध, दही,घी, शक्कर, शहद व गंगा जल)से शिव परिवार को स्नान करवाना चाहिए।ततपश्चात फल, सुगंध, रोली,चंदन, फूल, व वस्त्र शिव परिवार को अर्पित करने चाहिए। शिवलिंग पर सफेद पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद वस्त्र के साथ ही सफेद मिष्ठान चढ़ाने चाहिए।गणेश जी को दूर्वा(हरी घास) लड्डू,मोदक, व पीले वस्त्र भक्तों को अर्पित कना चाहिए।और फिर महादेव की आरती या शिव चालीसा पढ़ना चाहिए।साथ ही भगवान गणेश जी की आरती करनी चाहिए।ऐसा करने के बाद समस्त शिव परिवार से अपने परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए और क्षमा प्रार्थना कर प्रणाम करना चाहिए।

सुरक्षा के पुख्ताा इंतजाम

वही एस आई बृजेश कुमार यादव ने बताया कि उच्चाधिकारी ने चार एसओ, छ: सबइंस्पेक्टर ,52 सिपाही,5 महिला सिपाही व एक पलाटून पीएसी की व्यवस्था की गई। अन्य सुरक्षा के लिए दो फायर बिग्रेड की गाड़ी लगाई है। जो कि अपात स्थिति के लिए कारगर है।

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