
शिवपाल यादव की सपा में वापसी को लेकर आई ये खबर, गोपनीय बैठक के बाद बड़ा ऐलान
इटावा. संसदीय चुनाव में सपा-बसपा को मनमाफिक सीटें न मिलने और दोनों की राहें अलग होने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में वापसी की चर्चाओं तेज हो गई हैं। मायावती के दांव के बाद सपा के बड़े नेताओं ने शिवपाल को जोड़ने की वकालत की है। इन्हीं चर्चाओं के बीच इटावा के चौगुर्जी स्थित आवास पर शिवपाल ने अपने खास सलाहकारों के गोपनीय बैठक की। वहीं इस दौरान शिवपाल ने साफ शब्दों में कहा कि वह इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहना चाहते। जब उन्हें कुछ कहना होगा तो वह सभी को बुलाकर अपनी बात रखेंगे। इस दौरान पत्रकारों ने शिवपाल कई सवाल किए लेकिन वह बचने की कोशिश करते रहे।
सुनिये क्या बोले शिवपाल-https://youtu.be/4XEk6lY0v1c
शिवपाल बेहद सावधान
शिवपाल अपनी पार्टी और भविष्य की रणनीतियों को लेकर बेहद सावधान हैं। वह जल्दबाजी में किसी तरह का कोई भी फैसला लेने के मूड में नहीं हैं। शिवपाल से जब मायावती के आरोपों और परिवार के एक होने को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि मीटिंग के बाद बयान देंगे। दरअसल मुलायम, अखिलेश और शिवपाल की भी एक गोपनीय बैठक होने की जानकारी भी सामने आ रही है। इसलिए यह माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद ही शिवपाल की तरफ से कोई बयान जारी होगा।
चर्चाओं का बाजार गर्म
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बावजूद करारी हार के चलते समाजवादी पार्टी में उथल-पुथल के बीच कहा गया था कि मुलायम सिंह यादव ईद के दिन शिवपाल से मुलाकात करेंगे और उनकी वापसी को लेकर कोई बड़ी घोषणा भी करेंगे, लेकिन मुलायम का कोई कार्यक्रम न होने के कारण यह मुलाकात मात्र अफवाह तक ही सीमित रह गई। दरअसल सपा के बड़े नेताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के पीछे शिवपाल फैक्टर भी कारगर रहा है और रामगोपाल यादव कमजोर पड़ते दिख रहे हैं। यहां तक कि फिरोजाबाद लोकसभा सीट से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के हारने के पीछे की वजह भी शिवपाल ही रहे।
शिवपाल के समर्थकों में चिंता
सपा में शामिल होने के सवालों से शिवपाल सिंह के बचने की एक और वजह भी है। जानकारी के मुताबिक उनकी नवगठित प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के पदाधिकारियों की ओर से इस बात के लिए इंकार किया गया है। प्रसपा के पदाधिकारियों के मुताबिक अगर सपा से गठबंधन या फिर विलय कर लेते हैं, तो फिर उनके समर्थकों और प्रशंसकों का क्या होगा। शिवपाल के समर्थकों को इस बात की भी चिंता सता रही है कि अगर वह सपा में हिस्सेदारी करने जा पहुंचते हैं तो ऐसी स्थिति में उनकी नवगठित प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का क्या होगा।
Updated on:
06 Jun 2019 06:17 pm
Published on:
06 Jun 2019 02:09 pm
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