40 से अधिक देश BRI में शामिल
बता दें कि चीन और इटली ने इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन भी एक-दूसरे को सौंपा। BRI सहयोग समझौते में इससे पहले ही 40 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में विशेष रूप से चीन के बढ़ते प्रभाव से इटली के अन्य सहयोगी देश जिसमें अमरीका और अन्य यूरोपीय देश शामिल हैं को काफी परेशानी हो सकती है। क्योंकि इस क्षेत्र में चीन का आर्थिक वर्चस्व बढ़ जाएगा। इससे पहले अमरीका ने चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) पहल का हवाला देते हुए इटली से यह आग्रह किया था कि चीन के ‘अवसंरचना वैनिटी परियोजना’ को कोई वैधता यानी ‘लेंड लेजीटीमेसी’ न दें। हालांकि अब इटली ने अमरीका के इस आग्रह को दरकिनार करते हुए चीन के BIR परियोजना के साथ समझौता कर लिया है। इटली का मानना है कि बीते तीन दशकों से वह मंदी का सामना कर रहा है और अब अपने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि उनके देश के लिए चीनी निवेश अच्छा है। इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुरुवार को ही रोम पहुंच गए हैं। जिनपिंग इटली के बाद मोनाको और फ्रांस के दौरे पर जाएंगे। बता दें कि चीन ने भारत को भी BRI में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन भारत ने साफ-साफ इनकार कर दिया है। इसके अलावा भारत ने OBOR में भी शामिल होने से इनकार कर दिया है।
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