
यदि नहीं हुआ एग्जाम, तो क्या होगा इन 37,800 शिक्षकों ?
बिहार में 37,800 शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अगर इन शिक्षकों को मार्च 2019 तक डीएलडी सर्टिफिकेट नहीं मिला तो उनकी नौकरी खटाई में पड़ सकती है। दरअसल साल 2011 में 37,800 शिक्षकों ने टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी लेकिन ये सभी अप्रशिक्षित थे। इन सभी को प्रशिक्षण लेना अनिवार्य था। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए 2013 से 2018 के बीच बिहार में डायट व पीटीसी द्वारा संचालित कॉलजों से डीएलएड कोर्स शुरू करवाए गए।
दूसरी ओर बिहार सरकार ने प्राइमरी और मिडिल स्तर के शिक्षकों को डीएलएड कोर्स भी अनिवार्य कर दिया। अपनी नौकरी को बचाने के लिए इन सभी टीचरों ने डीएलएड कोर्स तो कंपलीट कर लिया लेकिन अब ये प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए अपनी परीक्षा का इतंजार कर रहे हैं। अगर मार्च 2019 तक इन्हें यह प्रमाणपत्र नहीं मिला तो उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मार्च 2019 तक प्राइमरी व मध्य स्तर के शिक्षकों को डीएलएड कोर्स करना अनिवार्य है, जो शिक्षक डीएलएड कोर्स नहीं किए होंगे, उन्हें शिक्षक नहीं समझा जायेगा।
इस बारे में मार्कण्डेय पाठक (महासचिव, टीईटी- एसटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ) ने कहा कि पिछले पांच सालों से ये सभी शिक्षक परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं लेकिन परीक्षा नहीं ली गई है। अगर मार्च 2019 तक परीक्षा नहीं ली गई तो फिर नौकरी पर मुसीबत आ सकती है।
बिहार मैट्रिक बोर्ड परीक्षा में इस साल फेल हुए 5,38,825 स्टूडेंट्स
दो दिन पहले यानि 26 जून को बिहार बोर्ड ने मैट्रिक परीक्षा 2018 का रिजल्ट घोषित किया था। इस बार 10वीं कक्षा में 68 फीसदी बच्चे पास हुए थे। वहीं दूसरी ओर इस बार मैट्रिक परीक्षा में कुल 5,38,825 स्टूडेंट्स फेल हुए है। इनमे सबसे ज्यादा छात्र गणित विषय में फेल हुए हैं। आपको बता दें गणित सबजेक्ट में इस साल सबसे अधिक 3 लाख 50 हजार स्टूडेंट असफल रहे हैं। एक तरह से गणित विषय ने इस बार मैट्रिक रिजल्ट का गणित ही बिगाड़ दिया।
Published on:
28 Jun 2018 07:14 pm
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