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आज ही काम में ले ये टिप्स, बच्चे बनेंगे होशियार, आएंगे अच्छे मार्क्स

आज के कॉम्पीटिशन के जमाने में बच्चों पर पढ़ाई करने तथा परीक्षा की तैयारी का इतना अधिक दबाव है कि वो मानसिक रूप से स्ट्रेस में आ जाते हैं।

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जयपुर

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Sunil Sharma

Mar 27, 2019

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आज के कॉम्पीटिशन के जमाने में बच्चों पर पढ़ाई करने तथा परीक्षा की तैयारी का इतना अधिक दबाव है कि वो मानसिक रूप से स्ट्रेस में आ जाते हैं। स्ट्रेस तथा अत्यधिक दबाव के चलते बच्चे एग्जाम में अच्छा परफॉर्म भी नहीं कर पाते हैं। परीक्षा के दौरान इन बच्चों का तनाव कम करने के लिए उनके माता-पिता उन्हें ट्यूशन या रेमेडी क्लास भेजकर उनके तनाव को कुछ कम जरूर कर सकते हैं। स्कूल भी यदि अपनी जिम्मेदारी समझकर कक्षाएं समाप्त होने के बाद एडीएचडी विद्यार्थियों के लिए विशेष प्रोग्राम का आयोजन कर सकते हैं।

दसवीं की परीक्षा दे रहे एक बच्चे की मां कहती हैं कि मैं अपने बच्चे को यही समझाती हूं कि परीक्षाएं भी खेल की तरह ही हैं और तुम्हें इतना स्मार्ट होना है कि तुम इसे अच्छे से खेल सको। इसके बाद चिंता करने की जरूरत कतई नहीं है। परीक्षा के परिणाम पर ध्यान देने की बजाय परीक्षा की तैयारी में लगे रहो। यह कह देने भर से ही उसका मानसिक तनाव कम हो जाता है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार इस तरह से बच्चे को भावनात्मक सहयोग मिलता है, वह आत्मविश्वास से लबरेज हो उठता है। इस दौरान परिवार के अन्य लोगों को भी टीवी देखने, गाना सुनने या कुछ ऐसा करने से परहेज करना चाहिए, जिससे उसका ध्यान बंटे। इस दौरान गैजेट्स के इस्तेमाल पर नियंत्रण लगाएं। हालांकि, ऑनलाइन स्टडी करने वाले बच्चों को इंटरनेट तथा गैजेट्स काम में लेने की परमिशन दे सकते हैं ताकि उसे विषय को समझने में आसानी हो।

मनोवैज्ञानिकों कहते हैं कि दबाव और तनाव के स्तर को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है कि विद्यार्थी हर पौने घंटे की पढ़ाई के बाद दस- बीस मिनट तक का ब्रेक लें। इस ब्रेक के दौरान आउटडोर गेम्स खेले जा सकते हैं। खेल ऐसा माध्यम है, जो शरीर को ऑक्सीटॉनिक्स हार्मोन निकालने में सहायता करता है। पढ़ाई के दौरान होने वाले तनाव से मुक्ति के लिए ये हार्मोन शरीर और मस्तिष्क के लिए रिलैक्सेशन थेरेपी का काम करते हैं। साथ ही माता- पिता को चाहिए कि वे लगातार अपने बच्चे से बात करते रहें, ताकि उसके अंदर चल रही बातों का पता चल सके।