अजमेर संभाग की पॉलिटिकल डायरी
अनिल कैले
ना गौर के परबतसर में भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति सदस्य ओमप्रकाश माथुर का दिया बयान प्रदेश में सियासी गर्माहट पैदा कर गया। उन्होंने भले ही कार्यकर्ताओं को गुटबाजी से दूर रहने की नसीहत दी हो, लेकिन माथुर के बयानों को लेकर अब कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। जिनमें सर्वाधिक यह कि अबके टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी राजस्थान के नेताओं के भरोसे नहीं रहने वाली है। फैसला आलाकमान के हाथ ही रहने वाला है। माथुर ने भाषण में कहा था कि जयपुर वाले कोई भी सूची भेजे, लेकिन होगा वही जो वह चाहेंगे। इसके लिए वह गांव-गांव की नस जानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह जो निर्णय ले लेंगे उसे मोदी भी नहीं बदल सकते हैं। मैं जो खूंटा गाड़ दूंगा उसे मोदी भी नहीं उखाड़ सकते। यानी राजस्थान में इस बार चुनावी रणनीति को लेकर माथुर की भूमिका अहम रह सकती है। माथुर ने यह भी कहा कि कार्यकर्ता को किसी से डरने की जरूरत नहीं। यह उनकी नसीहत भी मानी जा रही है। उनका प्रदेश के नेताओं की ओर यह इशारा कि तेरा-मेरा लाडला भी नहीं चलने वाला, नेताओं को बेचैन कर गया। मारवाड़ की धरती से मारवाड़ी भाषा में माथुर के इस बयान से यह तो स्पष्ट है कि वर्ष 2023 के चुनाव को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में अंदर ही अंदर कोई रणनीति बन रही है। इधर, पेपर लीक मामले में नागौर सांसद और रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने फिर से मुख्यमंत्री पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने मुख्यमंत्री से दस सवाल किए हैं। बेनीवाल ने आरोप लगाया कि सीएम के ओएसडी देवाराम सैनी के नजदीकी रिश्तेदारों की भी कोचिंगों में साझेदारी है, जो उनके संपर्क में भी थे। सरकार को इसकी गहन जांच करवानी चाहिए।
मौजूदा साल के अंतिम सप्ताह में भी अजमेर जिले में भाजपा के दिग्गज नेताओं का पगफेरा रहा। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने किशनगढ़ का दौरा किया तो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मसूदा में जनसभाओं के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली। अभी तक भाजपा नेता चार साल के कांग्रेस शासन को कोस रहे थे, लेकिन पिछले सप्ताह सबने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के लीक हुए पेपर को मुद्दा बनाते हुए सरकार को निशाने पर लिया। दूसरी ओर गुजरात विधानसभा चुनाव में करारी हार से निराश केकड़ी के विधायक रघु शर्मा भी अपने घर लौट आए। शर्मा ने सावर, सदारा, सांपला, केकड़ी, मेवदा, जोतायां और कादेड़ा में जनसुनवाई के जरिए जनता से सम्पर्क साधा।