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जिला मुख्यालय जाने 37 किमी का चक्कर लगाते हैं मंगचुवा के रहवासी

वनांचल ग्राम मंगचुवा जिला मुख्यालय बालोद से नजदीक बसा है। लेकिन गांव के किसी व्यक्ति को जिला मुख्यालय जाना है, तो उसे हितेकसा, कान्हारपुरी, गुरुर होकर लगभग 37 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।

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वनांचल ग्राम मंगचुवा जिला मुख्यालय बालोद से नजदीक बसा है। लेकिन गांव के किसी व्यक्ति को जिला मुख्यालय जाना है, तो उसे हितेकसा, कान्हारपुरी, गुरुर होकर लगभग 37 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।

गुरुर विकासखंड के वनांचल ग्राम मंगचुवा जिला मुख्यालय बालोद से नजदीक बसा है। लेकिन गांव के किसी व्यक्ति को जिला मुख्यालय जाना है, तो उसे हितेकसा, कान्हारपुरी, गुरुर होकर लगभग 37 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। जबकि इस गांव से साढ़े तीन किमी दूर करकाभाट के पास मुख्य मार्ग है। जहां से बालोद 15 किमी है। साढ़े तीन किमी की सड़क बन जाए तो 37 किमी के स्थान पर 18 किमी सफर कर जिला मुख्यालय पहुंच सकते हैं। लोगों की दुर्दशा यहीं समाप्त नहीं होती। आज भी गांव पानी, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

जमींदारी प्रथा समाप्त होने के बाद शासन ने नहीं दिया ध्यान

गांव के लोगों ने बताया कि करकाभाट तक की सड़क का निर्माण गांव के जमींदार भूसाखरे ने कराया था। इसकी देखरेख भी उन्हीं के खर्चे पर होती थी। लेकिन जमींदारी प्रथा समाप्त होने के बाद इस मार्ग पर शासन का ध्यान कभी नहीं गया। जरूरत के समानों के लिए यह गांव कारहीभदर बाजार पर निर्भर है।

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सरकार और प्रशासन नहीं ले रहे सुध

ग्राम पटेल तखत भूसाखरे ने पुष्टि की कि मंगचुवा करकाभाट मार्ग का निर्माण से संधारण तक का कार्य हमारे पुरखों ने जमींदारी काल में कराया है। अब सरकार और प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली।

पहली प्राथमिकता सड़क

ग्राम पंचायत सरपंच भूपेश हिरवानी ने कहा कि मंगचुवा आश्रित गांव है। पहले कार्यकाल में मंैने मंगचुवा से करकाभाट मार्ग की मांग रखी थी। इस कार्यकाल में पहली प्राथमिकता है, इस सड़क के निर्माण से गांव सीधे जिला मुख्यालय से जुड़ेगा। मितानिन नीता भूसाखरे ने कहा कि सड़क हमारी बुनियादी जरूरत है। विकासशील जिले में रहकर जिला बनने के बाद भी हम बीहड़ का जीवन जी रहे है।

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मंत्री बन गए, लेकिन चुनाव में किया वादा भूल गए

ग्राम के वयोवृद्ध कृष्ण कुमार भूसाखरे ने कहा कि वर्तमान सरकार के एक मंत्री पूर्व उपचुनाव के समय हमारे घर में तीन रात्रि रुके थे, बाद में वे भी भूल गए। युवा कृषक जागेश्वर सिंह सोरी ने कहा कि सड़क, पानी, बिजली हमारी बुनियादी जरूरत है। गांव के वयोवृद्ध दुलार सिंह सोरी का कहना है कि अपने जीवन काल में अपने बच्चों को नई सड़क पर चलते देखना सुखद अहसास होगा।

सड़क की लड़ाई लडऩी पड़ेगी

युवा महेंद्र कोवाची ने कहा कि उम्मीद लगाए बैठे हैं कि करकाभाट से हमारे गांव तक सड़क बन जाएगी। शासन-प्रशासन नहीं सुनेंगे तो सड़क की लड़ाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा। गांव मंगचुवा की दो साल पूर्व नागरिकता लिए नाड़ी विशेषज्ञ डॉ पुरुषोत्तम सिंह राजपूत ने कहा कि आश्चर्य होता है कि जिला मुख्यालय के इतने करीब होकर भी सड़क जैसी सुविधा के लिए तरस रहे हैं।