कांग्रेस पार्टी में चौधर की जंग पिछले साढे चार साल से चल रही है। इस बीच हुड्डा गुट ने कभी भी किरण चौधरी को विधायक दल का नेता और अशोक तंवर को पार्टी का अध्यक्ष नहीं माना। हालांकि हुड्डा खेमा इन दोनों नेताओं को पद से नहीं हटवा पाया है। इसके बावजूद कलह जारी है। अब नया विवाद किरण चौधरी के नेता प्रतिपक्ष बनने पर हो गया है। इनेलो में उठापटक के बाद विधानसभा स्पीकर ने संख्या बल को आधार बनाकर अभय चौटाला को स्पीकर के पद से हटा दिया था। अब 17 विधायकों के साथ सदन में कांग्रेस सबसे बड़ा दल है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी कांग्रेस के खाते में जानी तय है।
अभय चौटाला के हटते ही किरण चौधरी ने स्पीकर को पत्र लिखकर विपक्ष की कुर्सी पर अपना क्लेम ठोक दिया था। स्पीकर ने उस समय चिट्टी को रिसीव तो कर लिया लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं लिया। क्योंकि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। अब उन्होंने किरण चौधरी को पत्र लिखकर कहा है कि वे यह साबित करें कि पार्टी के सभी विधायक उनके साथ हैं। हरियाणा कांग्रेस के 17 में से करीब एक दर्जन विधायक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे में गिने जाते हैं। ऐसे में किरण चौधरी को इन विधायकों का समर्थन हासिल करने में पसीने छूटने तय हैं।
किरण चौधरी ने खुद से ही स्पीकर को चिट्टी लिखकर अपना दावा तो ठोक दिया लेकिन एलओपी की कुर्सी किसे मिलेगी इसका फैसला कांग्रेस हाईकमान ही करेगा। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी गुलाम नबी आजाद इस मुद्दे पर कांग्रेस के सभी विधायकों के साथ बैठक करेंगे। विपक्ष के नेता की कुर्सी और प्रदेशाध्यक्ष का पद दोनों ही जातिगत आधार पर तय होते हैं। ऐसे में किरण को विपक्ष के नेता की कुर्सी मिल पाना आसान नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष के लिए विधानसभा में नहीं कोई नियम
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता को लेकर किसी तरह के नियम नहीं बने हुए हैं। वर्ष 1966 से लेकर अभी तक विपक्ष के नेता का चयन पुरानी चली आ रही परंपराओं (प्रैक्टिस) के तहत ही होता आया है। आमतौर पर संबंधित पार्टी के सभी विधायकों द्वारा या पार्टी द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके स्पीकर को भेज दिया जाता है और स्पीकर द्वारा संबंधित विधायक को नेता प्रतिपक्ष के रूप में अधिसूचित कर दिया जाता है। इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
क्या कहते हैं विधानसभा के स्पीकर
विपक्ष के नेता के पद के लिए किरण चौधरी का पत्र हमें मिला था। अब उन्हें पत्र लिखकर कहा गया है कि वह विधानसभा सचिवालय में विधायकों का सहमति पत्र दें ताकि उस पर फैसला लिया जा सके। सर्वसम्मति अथवा सहमति के बगैर एलओपी का फैसला संभव नहीं है।
कंवर पाल गुर्जर, स्पीकर हरियाणा विधानसभा