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बड़ा खुलासा! सरकारी खर्चे पर सज रही भाजपा की रात्रि चौपाल

भाजपा की रात्रि चौपाल सरकारी खर्चों पर चल रही है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि पड़ताल में सामने आया है... देखें वीडियो

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BJP Ratri Chaupal reality check

बड़ा खुलासा! सरकारी खर्चे पर सज रही भाजपा की रात्रि चौपाल

राजीव शुक्ला
फर्रुखाबाद. भाजपा की रात्रि चौपाल सरकारी खर्चों पर चल रही है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि पड़ताल में सामने आया है। रात्रि चौपाल में पांडाल, साउंड, कुर्सी, मंच, नाश्ता-पानी और जेनरेटर आदि के खर्चे भी किसी न किसी सरकारी विभाग के ही जिम्मे होते हैं। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता व पदाधिकारी लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। इसी प्लान के तहत भाजपाई दिग्गज गांव-गांव रात्रि चौपाल कर रहे हैं।

शुक्रवार को फर्रुखाबाद जिले के भोलेपुर में भाजपा की रात्रि चौपाल का आयोजन किया गया था। इसमें अलग-अलग सरकारी विभागों के पास रात्रि चौपाल की अलग-अलग जिम्मेदारी थी। इस दौरान फरियादियों के साथ पानी, बिजली, राशन, साफ़-सफाई विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे। भाजपा की रात्रि चौपाल पर आने वाले सरकारी खर्च पर कोई नेता या अफसर खुलकर तो कुछ नहीं बोला, लेकिन फिर भी सरकारी खर्चे पर चौपाल चलने की बात सामने आ ही गई।

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भाजपा नेताओं ने साधी चुप्पी
रात्रि चौपाल में सरकारी खर्च पर भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष रामवीर शुक्ला ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। लेकिन एक और भाजपा नेता ने कहा कि रात्रि चौपाल के दौरान जिन विभागों से ज्यादा शिकायतें आएंगी, चौपाल का खर्चा भी वही उठाएंगे। बता दें कि भाजपा की रात्रि चौपाल के दौरान लगभग सभी सरकारी विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहते हैं।

इन विभागों के कंधों पर खर्च का जिम्मा
रात्रि चौपाल पर होने वाले खर्च पर सरकारी विभाग के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर कुछ अफसरों ने बताया कि हां चौपाल का थोड़ा खर्च उन्हें भी भी भरना होता है। पत्रिका संवाददाता ने इस मामले को और गहराई से समझने की कोशिश की तो चौंकाने वाला मामला सामने आया। जेनरेटर, टेंट, नाश्ता-पानी आदि के लिये आये लोगों ने बताया कि कौन सा सरकारी विभाग उन्हें बुलाकर लाया है। रात्रि चौपाल के लिये जो जेनरेटर लगा था, उसका खर्च बिजली विभाग के जिम्मे था। टेंट व कुर्सी-मेज पर आने वाला खर्च नगर पालिका के जिम्मे और नास्ता-पानी कराने की जिम्मेदारी पूर्ति विभाग के पास थी।

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