scriptइंस्पेक्टर की हत्या में बसपा नेता को उम्रकैद, एक लाख का जुर्माना, जानें दुर्दांत माफिया अनुपम दुबे की क्राइम कुडली? | BSP leader Anupam Dubey sentenced to life imprisonment fined one lakh in Inspector Ram Niwas Yadav murder case in Farrukhabad | Patrika News
फर्रुखाबाद

इंस्पेक्टर की हत्या में बसपा नेता को उम्रकैद, एक लाख का जुर्माना, जानें दुर्दांत माफिया अनुपम दुबे की क्राइम कुडली?

BSP Leader Anupam Dubey: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में न्यायालय ने बसपा नेता अनुपम दुबे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 27 साल पहले इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में सजा के साथ एक लाख रुपये जुर्माना भी लगा है। आइए जानते हैं पूरा मामला…

फर्रुखाबादDec 08, 2023 / 09:29 am

Vishnu Bajpai

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Anupam Dubey Life Imprisonment: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के अनवरगंज स्टेशन पर 27 साल पहले ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर की ट्रेन में घुसकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात को यूपी के टॉप टेन माफिया बसपा नेता अनुपम दुबे ने अंजाम दिया था। एडीजी-8 की अदालत ने अब इस मामले में फैसला सुनाते हुए बसपा नेता अनुपम दुबे को उम्रकैद के साथ एक लाख जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है। बसपा नेता अनुपम दुबे इस समय मथुरा जेल में बंद हैं। आखिर बसपा नेता अनुपम दुबे ने इंस्पेक्टर की हत्या क्यों की?
दरअसल, 27 साल पहले अनुपम दुबे के पिता की हत्या हुई थी। पिता की हत्या का शक अनुपम दुबे को इंस्पेक्टर राम निवास यादव पर था। तब से अनुपम दुबे इंस्पेक्टर से रंजिश मान रहा था। 14 मई 1996 को इंस्पेक्टर रामनिवास यादव ट्रेन में थे। इसी दौरान अनुपम दुबे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। इंस्पेक्टर की हत्या के बाद यूपी पुलिस में हड़कंप मच गया था। इस हत्या में उसके साथ उसके रिश्तेदार नेम कुमार दुबे उर्फ बिलैया तथा कौशल भी साथ थे जिनकी मौत हो चुकी है बिलैया को फर्रुखाबाद के कमालगंज थाना क्षेत्र के ईसापुर गांव में पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया था वह फर्रुखाबाद में न्यायालय में पेशी पर आया था और इस दौरान पुलिस हिरासत में चकमा देकर भाग गया था।
एडीजीसी अरविंद डिमरी ने बताया कि मुकदमे में कुल 22 गवाह कोर्ट में पेश किए गए थे। अभियोजन की ओर से 18 गवाह कोर्ट में पेश हुए थे जबकि कोर्ट विटनेस के रूप में भी चार गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए थे। इनमें से घटना के समय ट्रेन में मौजूद रहे एक गवाह मुलायम सिंह की गवाही महत्वपूर्ण रही। इसे चश्मदीद गवाह के रूप में कोर्ट में पेश किया गया था।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपराध और अपराधियों के विरुद्ध ठोस एवं कारगर कार्यवाही की जा रही है उसी के तहत जीआरपी के पूर्व एसपी मुस्ताक अहमद ने 25 वर्षों से न्यायालय में बन्द फाइल खुलवाई। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार इस समय अनुपम दुबे के खिलाफ 63 अपराधिक मामले चल रहे हैं जिसमें हत्या, हत्या के प्रयास, रोड होल्डअप, अपहरण, रंगदारी, वसूली तथा जमीनों पर कब्जे के मुकदमे चल रहे हैं। बसपा नेता अनुपम दुबे इस समय यूपी की मथुरा जेल में बंद है। उसका दूसरा भाई ब्लॉक प्रमुख अमित दुबे और बब्बन डी47 गैंग का सदस्य है। अमित दुबे हरदोई की जेल में बंद है। इसके अलावा अनुपम दुबे का तीसरा भाई अनुराग दुबे उर्फ डब्बन फरार है। उस पर पुलिस ने 25000 रुपये का इनाम घोषित किया है।

पुलिस प्रवक्ता के अनुसार इस मामले में तत्कालीन एसपी अशोक कुमार मीणा ने इस दुर्दांत अपराधी की फाइलों को विभिन्न न्यायालय से खोज कराके अभियोजन से कार्यवाही कराई थी। पुलिस का यह भी कहना है कि इस माफिया के भय की वजह से न्यायालय में चल रही पत्रावलियां गायब कर दी गई थी। सभी पत्रावलियों को खोज कर बंद मुकदमे चालू करवाए गए थे। इस मामले में कानपुर के अपर पुलिस महानिदेशक की ओर से की गई पैरवी तथा अभियोजन अधिकारी एडीसी अरविंद कुमार ढिमरी की बहस के चलते इस दुर्दांत अपराधी को न्यायालय से सजा सुनाई गई है। इस मामले में पैरवी करने वाले सभी कर्मचारी एवं अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार की घोषणा की गई है।

साल 1996 में कानपुर के अनवरगंज रेलवे स्टेशन के पास चलती ट्रेन में यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर राम निवास यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इंस्पेक्टर की हत्या में अनुपम दुबे को नामजद किया गया था। तब से अनुपम दुबे के खिलाफ कानपुर के न्यायालय में केस चल रहा था, लेकिन राजनीतिक पहुंच के कारण अनुपम दुबे ने करीब 25 साल तक इंस्पेक्टर के हत्या की फाइल को दबाने का प्रयास किया था। इसके बाद यूपी में भाजपा सरकार आने के बाद इंस्पेक्टर की हत्या के केस में सुनवाई को लेकर प्रक्रिया फिर तेज हुई। जीआरपी के तत्कालीन एसपी मुस्ताक अहमद ने कोर्ट में पैरवी की। इसी के तहत गुरुवार को न्यायालय ने ठोस सुबूतों के आधार पर इस दुर्दांत अपराधी को उम्रकैद की सजा सुनाई।

बसपा नेता अनुपम दुबे साल 1990 से अपराध की दुनिया में सक्रिय है। राजनीतिक पहुंच के चलते उसकी अपराध की यह वंश बेल दिनों दिन फलती रही। यहां तक की जिले के बड़े-बड़े रसूखदार व्यापारी, नेता उसकी चौखट पर हाजिरी लगाते थे जिले के सहसापुर गांव का रहने वाला माफिया अनुपम दुबे 36 साल से अपराधिक दुनिया में है। इसका खौफ ऐसा था कि कोई भी इसके खिलाफ नहीं बोलता था। यहां तक कि जिले में सभी विभागों में ठेकों से लेकर राजनीतिक गतिविधियों में भी उसका पूरा दखल था।
पीडब्ल्यूडी/आरईएस बिजली विभाग के ठेकों में भी इसका प्रभावी दखल था। अनुपम दुबे पर अलग-अलग थानों में करीब 63 मुकदमे दर्ज हैं, इनमें हत्या, जमीन पर कब्जा और फिरौती मुख्य हैं। अनुपम दुबे के खिलाफ पुलिस अब तक 113 करोड़ 18 लाख 13 हजार 497 रुपये की सम्पत्ति को कुर्क कर चुकी है। अभी हाल में ही जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह व एसपी विकास कुमार के कड़े रुख के चलते पुलिस प्रशासन इसकी करोड़ों रुपए की संपत्ति को आम मुनादी करवाकर कुर्क कर चुका हैं।

सजा सुनाये जाने के बाद भी माफिया के तेवर ढ़ीले नहीं हुए तल्ख आवाज में मीडिया कर्मियों से कहा कि हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाऊंगा लेकिन हार नहीं मानूंगा। अंजाम चाहें कुछ भी हो। अनुपम की पत्नी मीनाक्षी दुबे भी इस दौरान उसके साथ रही। पुलिस की कड़ी नाकाबंदी रही। उधर फर्रुखाबाद में पुलिस ने होटल हिंदुस्तान से अनुपम के गुर्गों को उठाया है।
-आगरा से प्रमोद कुशवाहा की रिपोर्ट

https://youtu.be/0N6K-c-C17c

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