
फर्रुखाबाद. पूरे प्रदेश में जनपद सीतापुर में आवारा कुत्तों ने 12 मासूमों को नोच डाला। इससे उनकी मौत हो गई। यह घटना पूरे प्रदेश में सुर्खियां बन गई। इसके बावजूद जिले के अस्पतालों के महिला वार्डों में सुरक्षा को लेकर लापरवाही जारी है। यहां प्रसूति वार्ड के बाहर कुत्ते अपनी गिद्ध दृष्टि लिए हर वक्त देखे जा सकते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन मरीजों के बच्चों की सुरक्षा के प्रति कितना लापरवाह है। डॉ. राम मनोहर लोहिया महिला अस्पताल में प्रसूताओं के वार्ड के बाहर आवारा कुत्ते टहलते नजर आ रहे थे। आवारा कुत्तों को देखकर भी स्वास्थ्य कर्मी अनजान बने रहे।
हर रोज आवारा कुत्ते अस्पताल परिसर में घूमते हुए नजर आते हैं। कभी भी यह कुत्ते किसी के लिए कोई बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। क्यों पहुंचते वहां कुत्ते- अस्पतालों के वार्डों में कुत्तों की मौजूदगी के कई कारण हैं। लापरवाही के कारण प्रसव के बाद होने वाली गंदगी को खुले में फेंक दिया जाता है। इस गंदगी को कुत्ते अपना भोजन बनाते हैं। मांस के लोथड़े खाने से वह धीरे-धीरे आदमखोर बन जाते हैं। इसके अलावा वार्डों में आने वाले मरीजों के तीमारदार खाने-पीने का सामान भी फेंकते हैं।
इस कारण वहां कुत्ते मंडराते रहते हैं। ऐसी स्थिति में मौका मिलते ही कुत्ते कुछ भी निवाला बनाने में नहीं चूकते। वही जिस समय तीमारदार खाना खाते है तो कुत्ते भी पहुंच जाते है रात्रि में लोगों का भोजन लेकर कुत्ते फरार हो जाते है।सबसे बड़ा खतरा नवजात शिशुओं के बना रहता है कही कुत्ते उनको न उठा ले जाये।
नहीं होता चिकित्सीय कचरे का निस्तारण
सरकारी अस्पताल हो या फिर निजी। पूरे जिले के अस्पतालों से चिकित्सीय कचरे को उठाने का ठेका कानपुर की संस्था बिलवर्ल्ड के पास है। दावा है कि हर दूसरे दिन कचरा उठाने के लिए गाड़ी आती है, लेकिन हकीकत में यह यहां कभी दिखी ही नहीं। अस्पतालों से निकलने वाला कचरा खुले में फेंका जाता है। इसमें मांस, खून आदि को आवारा जानवर अपना निवाला बनाते हैं तो प्लास्टिक और कांच आदि का सामान कबाड़ बीनने वाले लोग ले जाते हैं।
रुई-पट्टी आदि को बाद में जला दिया जाता है। अस्पताल में कुत्ते न आ सकें, इसके लिए चौकीदारों को निर्देश दिए जा चुके हैं। अगर कुत्ते अस्पताल में नजर आएंगे तो चौकीदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल से निकलने वाले चिकित्सीय कचरे का ठेका निजी कंपनी के पास है। वही उसे उठा ले जाती है।
डॉ. कैलाश दुल्हानी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, महिला अस्पताल ने बताया कि अस्पताल के गेट पर चौकीदारों को लगा दिया गया है। जिससे कोई भी कुत्ता अंदर अस्पताल में न जा सके दूसरी तरफ पुरुष चिकित्सा अधीक्षक से बात हो गई है। अस्पताल के सभी गेट पर ड्यूटी लगाई जा रही है जिससे आवारा कुत्ते अस्पताल कैम्पस में ही न आ सके।
Published on:
08 May 2018 04:08 pm
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