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सरकार की इस योजना में जमकर की जा रही लापरवाही, महिलाओं को पता ही योजना का नाम

आखिर कैसे गरीब महिलाओं के भविष्य को सुरक्षित रखेगा स्वास्थ विभाग

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सरकार की इस योजना में जमकर की जा रही लापरवाही, महिलाओं को पता ही योजना का नाम

फतेहपुर. कहने को तो सरकार की योजनाओं का लाभ जनता को खूब मिल रहा है। सरकारी आंकड़ें की मानें तो योजमनाओं के जरिये लोगों को जीवन को बेहतर बनाया जा सका है। लेकिन हकीकत ये है कि कई सरकारी योजनाओं का जमीन पर बुरा हाल है। जिनके कल्याण के लिए सरकार ने योजना लागू किया है। उन्हे उस योजना की ही जानकारी नहीं है।

जी हां ऐसी ही केन्द्र सरकार की योजना है मात्रृत्व वंदना योजना जिसका जिले में बुरा हाल है। पत्रिका संवाददाता ने जिला अस्पताल में इस योजना की पड़ताल किया तो हैरान करने वाला खुलासा हुआ। सरकार के इस महत्वपूर्ण योजना को लेकर प्रशासन इस कदर लापरवाह है कि महिलाओं को इस योजना का नाम ही नहीं पता है। इतना ही नहीं योजना के प्रचार के लिए जो पोस्टर भी लगाये गये वो भी फट गये हैं लेकिन किसी को ये सुध नहीं है कि इस अभियान का प्रचार करके लोगों को जागरूक किया जा सके।

जी हां पीएम मोदी देश की महिलाओं को अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं मुहैया कराने के मकसद से तमाम तरह की योजनाएँ चला रहे हैं। जिससे महिलाओं को अच्छा स्वास्थ्य लाभ दिलाया जा सके, लेकिन फतेहपुर में पीएम की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री मात्रृत्व वंदना योजना का बहुत बुरा हाल है, जिसकी कहानी लोगों को जागरूक करने के लिए लगाया गया ये फटा हुआ पोस्टर बयां कर रहा है।

पीएम मोदी की योजना मात्रृत्व वंदना योजना को शुरु हुए एक साल हो गए हैं। इस योजना में गर्भवती महिलाओं को सरकार की तरफ से पांच हजार रुपये तीन किश्तों में दिए जाने का प्रवाधान है. लेकिन इस योजना का फायदा अभी तक लोगों को नहीं मिल रहा है। जिसकी मुख्य वजह है योजना का जिले स्तर पर प्रचार-प्रसार ना हो पाना। पूरे जिले अस्पताल में इस योजना से जुड़ा हमें सिर्फ एक फोस्टर लगा हुआ मिला वो भी पूरी तरह से फट गया था।

ऐसा ही कुछ हाल पीएम की इस महत्वाकांक्षी योजना को फतेहपुर जिले में भी है। बताने को तो जिले में इस योजना के तहत लगभग 2500 लोगों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। लेकिन जमीन पर कुछ भी नहीं है और तो और जिला अस्पताल में आने वाली प्रसूताओं से जब हमने इस योजना के बारे में पूंछा तो किसी को कुछ पता ही नहीं।

वहीं जिम्मेदार बता रहे हैं कि लोगों को जागरुक और योजना के प्रचार-प्रसार के लिए आशा बहुओं और एएनएम को लगाया गया है लेकिन वो भी सिर्फ कागजों में हद तो तब हो गई जब योजना के बारे में जिम्मेदारों से हमने पूछां तो वो भी सही से कुछ भी बता पाने की हालत में नहीं दिखे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसी योजनाओं में पानी की तरह पैसा क्यों बहाया जाता है। इनका फायदा किसी को मिलना ही नहीं है।