ऐसे ही एक नेता हैं, जो 1995 से लागातार चुनाव जीत रहे हैं। क्योंकि इनको राजा भैया का लागातार समर्थन मिलता रहा है। जानकारी के अनुसार, 1995 से लेकर 2012 तक नगर निकाय चुनाव में राजा भैया को समर्थन हरिप्रताप सिंह (निर्दल) को मिला, जिनकी हर बार जीत हुई। अब देखना है कि, इस बार राजा भैया का समर्थन किसे मिलता है। इससे पूर्व लगातार हरी प्रताप सिंह सन 1995 में कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर टिकट मेयर का टिकट लिया और जीत हासिल की। अपने अच्छे कार्यों के द्वारा नगर का विकास कर जनता के दिलों में स्थान बनाकर सन 1995 से लगातार सन 2012 तक भाजपा पार्टी से नगर पालिका अध्यक्ष बने रहे। सन 2012 में भाजपा पार्टी से टिकट न मिलने से निर्दल चुनाव लड़े और भाजपा पार्टी के प्रत्यासी रवी सिंह को चुनाव हराकर विजय श्री प्राप्त की।
इस बार यह सीट महिला आरक्षित है। सभी दावेदार अपनी पत्नियों को चुनावी मैदान में उतार रहे हैं। वहीं इस बार सपा भी अपना प्रत्याशी उतार रही है। ऐसे में राजा भैया के लिए यह दुविधा की बात है कि, इस बार राजा भैया का आशीर्वाद किसे मिलता है। राजनीत की सियासी दाव पेंच शतरंज की चाल की तरह प्रत्याशियों ने अपने समर्थकों को मोहरा बनाकर चलना शुरू कर दिया है, लेकिन कई प्रत्याशियों में कोई एक ही राजा भैया का आशीर्वाद प्राप्त करेगा। और जिसे राजा भैया अपना आशीर्वाद देंगे वही विजय श्री प्राप्त करेगा।
सभी प्रत्याशी राजा भैया को ही अपना आदर्श मानकर अपनी पैरवी प्रतापगढ़ से लेकर लखनऊ तक करते देखे जा रहे हैं। कुल मिलाकर राजा भैया का वर्चस्व इस नगर निकाय चुनाव में भी प्रभावशाली रहेगा। इसके पहले चुनाव में भाजपा पार्टी से रवि प्रताप सिंह को टिकट मिला था लेकिन राजा भैया के सहयोग और आशीर्वाद पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हरिप्रताप सिंह के साथ था, जिससे उन्हें चुनाव में विजय श्री प्राप्त की थी।