19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अनंत चतुर्दशी 2023 की पूजा विधि, व्रत नियम और क्या न करें इस दिन

- अनंत चतुर्दशी के दिन हुआ 14 लोकों का निर्माण

3 min read
Google source verification

image

Deepesh Tiwari

Sep 23, 2023

anant_chaturdashi.png

,,

अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। सनातन धर्म को मानने वाले श्रद्धा और आस्था के साथ अनंत चतुर्दशी मनाते हैं। अनंत रूप का मतलब भगवान के सभी रूपों के एक विग्रह को ही अनंत रूप कहा गया है, जिसमें सभी अवतारों का समावेश है।

अनंत चतुर्दशी कब है
अनंत चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर को रात 10 बजकर 18 मिनट पर होगी और इसका समापन 28 सितंबर, गुरुवार शाम 6 बजकर 49 मिनट पर होगा। इसे 28 सितंबर को ही मनाया जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त गुरुवार सुबह 6 बजकर 12 मिनट से शाम को 6 बजकर 49 मिनट तक है।


अनंत चतुर्दशी पूजा विधि (Anant Chaturdashi 2023 Pooja Vidhi)
अनंत चतुर्दशी के दिन जल्दी उठें और अपने दिन की शुरुआत भगवान नारायण के स्मरण के साथ करें।
अपने घर को अच्छी तरह से साफ करें। उसके बाद गंगाजल मिले जल से स्नान करें और पीले रंग के वस्त्र पहनें।
स्नान करने के बाद सबसे पहले सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
पूजा के स्थान पर एक चौकी लगाएं और उस पर भगवान नारायण की प्रतिमा या तस्वीर रखें। अब सामने एक विशेष कलश स्थापित करें।

इसके बाद घर में जितने सदस्य हैं उतने ही अनंत रक्षा सूत्र (पवित्र धागा) भगवान विष्णु के सामने रखें।
अनंत सूत्र पर कुमकुम और हल्दी लगाएं, उसमें 14 गांठ बांधकर पूजा के स्थान पर रख दें।
अब भगवान विष्णु के अनंत रूप और रक्षा सूत्रों की पूजा करें।
आरती के दौरान भगवान विष्णु से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
पूजा करने के बाद, मंत्रोच्चारण के साथ पुरुष अपने दाहिने हाथ में, और महिलाएं अपने बाएं हाथ में अनंत सूत्र जरूर बांधें।

14 लोकों का निर्माण
मान्यता है कि अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों 'तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य, मह' की रचना की थी। इन लोकों का पालन करने के लिए वह स्वयं भी 14 रूपों में प्रकट हो गए, जिससे अनंत प्रतीत होने लगे। शास्त्रों में बताया गया है कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के साथ यमुना और शेषनाग पूजन भी करना चाहिए। इस दिन यमुना और शेषनाग की पूजा के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी गई है। गणपति बप्पा को अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जित किया जाता है।

बांधा जाता है अनंत सूत्र
इस दिन अनंत भगवान की पूजा कर संकटों से रक्षा करने वाला अनंत सूत्र बांधा जाता है। कहा जाता है जब पाण्डव द्यूत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी।

धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनंत सूत्र धारण किया। अनंत चतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।

अनंत चतुर्दशी व्रत नियम
कई भक्त भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में अनंत चतुर्दशी पर व्रत रखते हैं। उपवास सूर्योदय से शुरू होता है और शाम की प्रार्थना के बाद समाप्त होता है। अनंत चतुर्दशी व्रत के दौरान, अनाज, दालों और कुछ सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए। इसके बजाय फल, दूध और व्रत में खाई जाने वाली अन्य चीजों का सेवन किया जाना चाहिए। माना जाता है कि इस व्रत से आत्मिक शुद्धि और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। प्रार्थना और भक्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे दिन एक शांतिपूर्ण और सकारात्मक मानसिकता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इस दिन पूजा के बाद अनंत सूत्र बांधना न भूलें।

इन बातों का रखें खास ध्यान
अनंत चतुर्दशी मनाते समय, कुछ बातों को जरूर ध्यान में रखें। इस शुभ दिन पर शराब, मांसाहारी भोजन और प्याज / लहसुन का सेवन करने से बचना चाहिए। आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से एक स्वच्छ और शुद्ध वातावरण बनाए रखने की सलाह दी जाती है। नकारात्मक विचारों या कार्यों में शामिल होने से बचें और इसके बजाय प्रार्थना, ध्यान और दान के कार्यों पर ध्यान केंद्रित करें।