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देव दिवाली 12 नवंबर 2019 जानें पूजा विधि

Dev Diwali : Puja Vidhi, Muhurt. जानें पूजा विधि

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भोपाल

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Shyam Kishor

Nov 11, 2019

देव दिवाली 12 नवंबरः जानें पूजा विधि

देव दिवाली 12 नवंबरः जानें पूजा विधि

साल 2019 में देव दिवाली का पर्व 12 नवंबर दिन मंगलवार कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मानाया जायेगा। देव दिवाली का पर्व खासकर गंगा मैया की पूजा कर काशी तीर्थस्थल के साथ अन्य गंगा तटों पर विशेष रूप से मनाया जाता है। शास्त्रोंक्त मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव धरती पर आते हैं। देव देवाली के दिन जो भी स्त्री पुरूष गंगा स्नान कर पूजा अर्चना करके अन्नदान करता है, उनके पिछले 7 जन्मों के ज्ञात-अज्ञात पापों का नाश हो जाता है। देव दिवाली के दिन ऐसे पूजन करने से मनोकामना पूरी हो जाती है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली देव दिवाली के दिन स्वयं भगवान शिवजी धरती पर आते हैं इसीलिए इस दिन भोलेनाथ की प्रिय नगरी काशी में गंगा मैया के तट पर हजारों दीप जलाकर बड़ी ही धूम धाम से मनाई जाती है। कहा जाता हैं कि भोलेनाथ के साथ अन्य तैतीस कोटी देवी देवता भी स्वर्ग लोक से उतरकर धरती पर आते हैं।

जाने अंजाने पाप कर्मों का नाश

श्रद्धालु इस दिन गंगा मैया के तट पर बैठकर स्नान करने के बाद विधि विधान से गंगाजी और शिव जी की विशेष पूजा आराधना करते हैं, हजारों आटे के दीपक जलाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करते हैं। इस दिन जो भी मनुष्य श्रद्धापूर्वक मां गंगा जी एवं भगवान शिवजी की विशेष पूजा एवं अभिषेक करने के बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार अन्न का दान करते हैं, उनके पिछले 7 जन्मों में जाने अंजाने में हुए पाप कर्मों का नाश हो जाता है।

देव दीपावली की पूजा ऐसे करें

1- कार्तिक पूर्णिमा यानी की देव दिवाली के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर श्री गणेश जी का ध्यान करते हुए काशी में या अन्य गंगा जी के तटों पर गंगा स्नान करें।

2- स्नान के बाद आटे के 5 या 11 दीपकों से आरती करने के बाद वही दीपक गंगा जी को समर्पित करें।

3- अब किसी पात्र में गंगा जल लेकर भगवान शिवजी का गंगा से अभिषेक कर षोडषोपचार विधि से पूजन करें । ऐसा करने से मां गंगा पिछले 7 जन्मों के पापों को हर लेती हैं।

4- श्रद्धा पूर्वक गंगाजी व शिवजी का आरती करने के बाद वहीं गंगा तट पर बैठकर ॐ नमः शिवाय मंत्र 108 बार जप करें।

5- 31 बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

6- सुविधानुसार श्री रामचरितमानस का पाठ या श्री सुन्दरकाण्ड का पाठ करें।

7- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करके श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए।

8- इस दिन अपने घर गंगा मैया के पवित्र जल को अवश्य लेकर आए।

9- इस दिन अन्न का दान करना बहुत ही लाभदायक होता है।

10- देव दिवाली के दिन पूजन करने से एक साथ तैतीस कोटि देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। और जन्म जन्मातंरों के पाप कर्मों का नाश हो जाता है।

इसलिए कहते हैं देव दिवाली

शास्त्रोंक्त यह मान्यता हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन चार माह बाद भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं, और इसी से प्रसन्नत होकर सभी देवता स्वर्ग से आकर शिवजी की प्रिय नगरी काशी, बनारस में गंगा मैया के तटों पर अनेको दीप जलाकर देव दिवाली उत्सव मनाते हैं।

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