
देवशयनी एकादशी: इस दिन से सो जाते हैं भगवान विष्णु, व्रत पूजन से मिलता है मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी ( devshayaniEkadashi ) कहा जाता है। इस साल 12 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा और विष्णु जी का पूजन किया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार इस दिन से चातुर्मास भी प्रारंभ हो जाता है। वहीं इसी दिन से सभी शुभ कार्यों पर भी विराम लग जाता है। पुराणों में इससे जुड़ी एक कथा भी है जिसके अनुसार विष्णु जी चार महीने के लिए सोने चले जाते हैं। इसलिए इस एकादशी ( ekadashi ) को देवशयनी कहा जाता है। पंडित रमाकांत मिश्रा बताते हैं की इस एकादशी का व्रत और पूजन सच्चे मन से किया जाए तो भगवान विष्णु ( bhagwan vishnu ) से मांगी हुई हर मनोकामना पूरी होती है।
देवशयनी एकादशी का महत्व
पुराणों के अनुसार एकादशी का व्रत जो भी भक्त सच्चे मन से रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस एकादशी की कथा पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान के जितना पुण्य फल प्राप्त होता है और समस्त पापों का नाश हो जाता हैं। मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत में भगवान विष्णु और पीपल की पूजा करने का शास्त्रों में विधान है।
इस विधान से करें एकादशी व्रत
देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से मुक्त होकर भगवान विष्णु का पूजन कर विष्णु सहस्रनाम तथा भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें।
देवशयनी एकादशी की शाम तक व्रत किया जाता है। विशेष विष्णु प्रायश्चित यज्ञ के लिए प्रशस्त समय माना जाता है। यज्ञ तथा एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होकर मनोकामना पूर्ण होती है।
देवशयनी एकादशी के दूसरे या तीसरे दिन प्रदोष होता है। यह व्रत करने से एकादशी का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
शालिग्राम जी का तथा लक्ष्मीजी जी का पूजन करें। दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। दूध-दही, शहद, गौघृत तथा शर्करा मिलाकर अभिषेक करना चाहिए। दूध, दही व फल ग्राह्य हैं।
Updated on:
05 Jul 2019 11:57 am
Published on:
05 Jul 2019 11:39 am
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