साल में दो ईद मनाई जाती
इस्लामिक कैलेंडर में दो ईद मनाने का उल्लेख आता है। दूसरी ईद जो ईद-उल-जुहा या बकरीद के नाम से भी जानी जाती है, ईद-उल-फित्र का यह त्यौहार रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नजर आने पर इस्लामिक महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है। ईद के त्यौहार पर लोग ईदगाह में जाकर नमाज पढ़ने के बाद एक दूसरे के गले मिलते हैं और ईद मुबारक बोलते हुये आपसी प्रेम व भाईचारे की दुआ करने के साथ सब को बरकत मिले व अल्लाह की रहमत बरसती रहे ऐसा कहते हैं।
दान देने का रिवाज
कहा जाता हैं कि ईद के दिन इस्लाम को मानने वाले अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरतमंदों को दान देते हैं, जिसे इस्लाम में जकात और फितरा भी कहा जाता है और इससे बरकत सदा बनी रहती है।
ईद की शाम को करें यह टोटका
सुख-शांति अमन चैन की दुआ के साथ ही धन-धौलत, रूपया पैसा की प्राप्ति की दुआ भी अल्लाह से इस दिन की जाती है। किसी को कम तो किसी को ज्यादा अल्लाह के रहेम से सबको कुछ न कुछ मिलता ही है। लेकिन अगर आपके मन में ज्यादा रूपया पैसा की चाह है तो ईद के दिन शाम के समय इस सरल टोटके को नमाज अदा करने के बाद किया जाए तो घर में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं रहती।
1- बाजार से कुछ कौड़िया खरीद कर लें आये, अब एक पीले कपड़े में 1 चांदी के सिक्कें के साथ 5 या 7 कौड़ियां अपनी तिजोरी में शाम के समय रख दें, आपकी तिजोरी रूपया पैसा से हमेशा भरी रहेगी।
2- कौड़ियों को केसर या हल्दी से रंग कर पीले कपड़े में बांध कर तिजोरी में रखने से रूपया पैसा की बरसात होती है।
3- गल्ले में, तिजोरी में या आलमारी में जहां पैसे रखते हैं वहां ईद के दिन कौड़ियां रखने से अचानक धन लाभ होने लगता है।
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