
Pradosh Vrat November 2022: साल 2022 के नवंबर माह यानि हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष यानि अगहन माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रहेगा। ऐसे में इस बार अगहन माह का पहला प्रदोष बहुत ही अत्यंत शुभ संयोग में आ रहा है, इस दिन सोमवार होने के चलते यह सोम प्रदोष कहलाएगा। सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है, वहीं प्रदोष व्रत भी भगवान शिव के लिए ही रखा जाता है ऐसे में इस बार यह दिन दो वजहों से भगवान शिव की उपासना के लिए बहुत शुभ हैं। मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने वाले भक्त के सब प्रकार के दोष मिट जाते हैं। तो चलिए जानते हैं कि मार्गशीर्ष माह का पहला सोम प्रदोष व्रत कब है? साथ ही जानते हैं इसका मुहूर्त और उपाय व सोम प्रदोष का महत्व...
अगहन माह का सोम प्रदोष व्रत (Aghan Som Pradosh Vrat) 2022 दिनांक
हर माह दो प्रदोष व्रत आते हैं, एक कृष्ण तो दूसरा शुक्ल पक्ष में। इस बार मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत सोमवार, 21 नवंबर 2022 को रखा जाएगा। माना जाता है कि प्रदोष काल (संध्याकाल) में भगवान महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनकी आराधना करते हैं।
सोम प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त (Som Pradosh Vrat 2022 Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सोमवार, 21 नवंबर 2022 को सुबह 10 बजकर 07 मिनट से शुरू होगा। वहीं त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 22 नवंबर 2022 सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर होगी।
पूजा का मुहूर्त - शाम 05:34 - शाम 08:14
सोम प्रदोष व्रत उपाय (Som Pradosh Vrat Upay)
भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए इस दिन प्रदोष काल में शंकर का अभिषेक पंचामृत से करना चाहिए। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा से जुड़े सारे दोष दूर हो जाते हैं।
नि:संतान दंपत्ति इस दिन साथ मिलकर शिवलिंग पर जौ अर्पित करें। माना जाता है कि ऐसा करने पर सुयोग्य संतान मिलती है, और सूनी गोद जल्द ही भर जाती है।
इस दिन भोलेनाथ का घी से अभिषेक करें। साथ ही शाम के समय शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है। माना जाता है कि ऐसा करने से आत्मबल और धन में वृद्धि के साथ ही अच्छे स्वास्थ का वरदान भी मिलता है।
सोम प्रदोष व्रत : सामग्री (Som Pradosh Vrat Samagri)
सोम प्रदोष व्रत पूजा के लिए गाय का कच्चा दूध, मंदार पुष्प, पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, कपूर, धूप, पंच रस, गन्ने का रस, बिल्वपत्र, इत्र, गंध रोली, पंच मिष्ठान्न, जौ की बालें, मौली जनेऊ, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, दीप, रूई, मलयागिरी, गंगा जल, पवित्र जल, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, रत्न, दक्षिणा, चंदन आदि हैं। इसके साथ ही इस दिन मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री भी इस सामग्री में होनी चाहिए।
सोम प्रदोष का महत्व
सभी प्रदोष व्रत में सबसे अधिक महत्व सोम प्रदोष व्रत का बताया जाता है। वहीं सावन में जब सोम प्रदोष व्रत लगता है तो इसका महत्व और अधिक बढ जाता है।
सोम प्रदोष के दिन भोलेनाथ के अभिषेक रुद्राभिषेक और श्रृंगार का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। लड़के या लड़की की शादी-विवाह की अड़चनें दूर होती हैं। संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करना चाहिए। वहीं ऐसे जातक जिन्हें लक्ष्मी प्राप्ति और कॅरियर में सफलता की कामना हो, उन्हें दूध से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हुए आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
Published on:
20 Nov 2022 02:48 pm
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