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Varuthini Ekadashi 2022- इस व्रत के पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए आवश्यक है इन चीजों का पालन

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी, वरुथिनी एकादशी कहलाती है।

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Deepesh Tiwari

Apr 21, 2022

varuthini ekadashi 2022

varuthini ekadashi 2022

भगवान विष्णु की पूजा के प्रमुख पर्वों में से एक एकादशी को अत्यंत विशेष माना जाता है। वहीं हिंदू कैलेंडर के सभी माह में से वैशाख माह भगवान विष्णु के माधव स्वरूप की पूजा के लिए खास माना गया है। ऐसे में इस माह आने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

ऐसे में इस बार वरुथिनी एकादशी मंगलवार, 26 अप्रैल 2022 को आ रही है। ज्योतिष के जानकार एके शुक्ला के अनुसार इस बार इस एकादशी की सबसे खास बात ये है कि यह एकादशी इस बार त्रिपुष्कर योग में प्रारंभ हो रही है।

ऐसे में यह जान लें कि माना जाता है कि त्रिपुष्कर में किए गए कार्यों का फल तीन गुना मिलता है। और यह योग तब ही बनता है जब रविवार, मंगलवार या शनिवार के दिन द्वादशी, सप्तमी या द्वितीया तिथि होती है और साथ ही उस समय कृत्तिका, पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराषाढ़ या उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होता है।

हिंदुओं में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। साथ ही इस व्रत को अन्य व्रतों से कठिन माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से श्री हरि की विशेष कृपा अपने भक्तों पर बरसती है।

कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से भक्तों के सभी कष्ट और दुख दूर होते हैं साथ ही, भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे कि व्रत के दौरान श्री हरि की पूजा करने के अलावा उनकी कथा को भी अवश्य पढ़ना या सुनना चाहिए।

वहीं पंडितों व जानकारों के अनुसार एकादशी व्रत का पूरा फल भी अन्य व्रतों की तरह तभी प्राप्त होता है, जब व्रत को पूरे विधि विधान, विश्वास,श्रृद्धा व व्रत के समस्त नियमों के साथ पूरा किया जाए। तो चलिए जानते हैं वरुथिनी एकादशी व्रत के नियम क्या हैं?

वरुथिनी एकादशी व्रत नियम

1. इस व्रत को रखने वाले जातक को तामसिक भोजन और विचारों से दूर रहना होता है। साथ ही इस पूरे दिन व्यक्ति को अपने मन, वचन और कर्म तीनों को शुद्ध रखना होता है।

2. व्रत करनेने वाले जातक को इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए साथ ही व्रत और पूजा का संकल्प भी लेना चाहिए।

3. भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत, केसर, हल्दी, तुलसी का पत्ता, पीले फूल, धूप, गंध, दीपक, चंदन आदि का प्रयोग किया जाना चाहिए है।

4. वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत कथा का पाठ या श्रवण अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इससे ही व्रत के महत्व का पता चलता है।

5. एकादशी के दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप तुलसी की माला से करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से मनोकामना सिद्ध होती है।

6. भगवान विष्णु को वरुथिनी एकादशी के दिन किसी पीली चीज का भोग अवश्य लगाना चाहिए। ध्यान रहे भोग लगाते समय उसमें तुलसी को अवश्य शामिल करें।

7. एकादशी की पूजा का समापन भगवान विष्णु की आरती ओम जय जगदीश हरे से करना चाहिए। साथ ही इस दिन भगवान के सम्मुख घी का दीपक लगाने के साथ ही कपूर से भी आरती करनी चाहिए। माना जाता है कि इस प्रकार की गई आरती से घर की नकारात्मकता दूर हो जाती है।

8. इस दिन व्रती और परिजनों को बाल, नाखून, दाढ़ी आदि नहीं काटनी चाहिए। साथ ही इस दिन स्नान के समय साबुन का इस्तेमाल भी नहीं करने के अलावा कपड़ों को भी साबून से नहीं धोना चाहिए।

9. इस दिन घर में झाड़ू लगाना वर्जित माना गया है। दरअसल माना जाता है कि ऐसा करने से घर में मौजूद छोटे-मोटे कीड़े मर सकते हैं, जिससे जीव हत्या का दोष लगता है। ऐसी स्थिति में आप केवल साफ कपड़ा लेकर स्थानों को झाड़कर साफ कर सकते हैं।