इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा दोपहर को मध्याह्न काल में की जाती है। शास्त्रों में मध्याह्न काल में भगवान श्रीगणेश की पूजा का मुहूर्त विनायक गणेश चतुर्थी के दिनों के साथ बताया गया है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की गणेश चतुर्थी के लिए उपवास का दिन सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है और जिस दिन मध्याह्न काल के दौरान चतुर्थी तिथि प्रबल होती है उस दिन व्रत रखकर विधि विधान से चतुर्थी तिथि का व्रत किया जाता है। इस दिन श्री गणेश का शास्त्रोंक्त विधि से पूजन करने पर भगवान लंबोदर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरी करने का आशीर्वाद देते हैं।
22 मई दिन बुधवार को ऐसे करें चतुर्थी का पूजन
1- दोपहर को ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की गणेश चतुर्थी का पूजन के लिए पहले शुद्धजल से स्नान करना चाहिए।
2- गणेश मंदिर में या फिर अपने घर के पूजा स्थल में पूजन करना चाहिए।
3- पूजा में मिट्टी के गणेश जी सबसे उत्तम माने जाते हैं।
4- गणेश जी का षोडषोपचार पूजन भी करना चाहिए।
5- इस दिन गणेश जी को सफेद या गुलाबी फूलों की माला ही पहनाना चाहिए।
6- इस दिन ताजी दुर्वा ही गणेश जी को अर्पित करना चाहिए।
7- गणेशजी को भोग भी ताजे मोदक का ही लगाना चाहिए।
8- इस दिन गणेशजी को अष्टगंध का ही तिलक लगाना चाहिए।
9- पूजन के बाद 108 बार- “ऊँ गं गणपते नमः” मंत्र का जप करना चाहिए।
10- व्रत छोड़ने से पूर्व गरीबों को कुछ न कुछ दान जरूर करना चाहिए।
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