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Rath Yatra : जगन्नाथ पुरी के अलावा इस शहर में 500 साल से निकलती है रथ यात्रा, हर साल होता है बड़ा चमत्कार

Jagannath rath yatra raipur chhattisgarh में पुरी के बाद सबसे बड़े स्तर पर पांच सौ सालों से निकली जाती है

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भोपाल

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Shyam Kishor

Jun 22, 2019

jagannath rath yatra raipur chhattisgarh

Rath Yatra : जगन्नाथ पुरी के अलावा इस शहर में 500 साल से निकलती है रथ यात्रा, हर साल होता बड़ा चमत्कार

भगवान जगन्नाथ ( bhagwan jagannath ) की रथयात्रा ( Rath Yatra ) पुरी नगरी के अलावा देश ही नहीं दुनिया में हिन्दू पंचांग के अनुसार, पुरी यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। इस साल 2019 में रथयात्री 4 जुलाई से प्रारंभ होगी। दुनियाभर में एक प्रसिद्ध त्यौहार के रूप में मनाया जाने वाले इस रथयात्रा उत्सव में विश्वभर के लाखों श्रद्धालु साक्षी बनते हैं।

होता है चमत्कार

वैसे तो यह रथयात्रा भगवान जगन्नाथ ( bhagwan jagannath ) के परमधाम पुरी ( Puri ) के नाम से ही जानी जाती है। लेकिन इसके अलावा भारत के इस राज्य की राजधानी में भी यह रथयात्री पिछले 500 सालों से वृहद रूप में निकाली जाती है। कहा जाता है कि रथयात्रा (rath yatra) के दौरान यहां हर साथ कोई न कोई बड़ा चमत्कार होती ही है। इसके अलावा भी देश दुनिया के कई हिस्सों में भव्यता के साथ रथयात्रा निकाली जाती है। यहां भगवान को विशेष प्रकार के प्रसाद का भोग लगाया जाता है जिसे बाद में महाप्रसाद के रूप में भक्तों में बाट दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद का सेवन करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार रोग नहीं होते।

इस शहर में 500 साल निकल रही रथयात्रा

प्रसिद्ध रथयात्रा पुरी ही नहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की पुरानी बस्ती टुरी हटरी में बना ऐतिहासिक प्राचीन जगन्नाथ मंदिर को इतिहासकार लगभग 500 साल पुराना बताते है, यहां भी पिछले 500 सालों से भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली जाती है। यहां निकलने वाली रथयात्रा को खींचने का मौका श्रद्धालु कभी नहीं छोड़ते। कहा जाता है कि इस रथयात्रा में हर साल छोटे बड़े रूप में चमत्कार होते हैं, इसी कारण श्रद्धालुों को रथ को हाथ लगाने का मौका न मिले तो भी वे रथ की रस्सी को मात्र छूने का अवसर ढूंढ़ते हैं।

ओडिशा से आते हैं कारीगर

श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान के रथ को खींचने से उनके पाप व कष्ट दूर होते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। रथयात्रा के लिए यहां पूरे मंदिर परिसर का रंगरोगन कार्य जोरशोर से किया जाता है और भगवान के नगर भ्रमण के लिए भरपूर तैयारी की जाती हैं। भगवान के तीनों रथ को बनाने के लिए यहां भी ओडिशा से ही कारीगर आते हैं।

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