
करवा चौथ व्रत रखने से पहले बहू को क्यों दि जाती है सरगी, जानें क्या है इसका महत्व
सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है। यह व्रत सभी महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। शनिवार, 27 अक्टूबर को यह व्रत रखा जाएगा। व्रत से जुड़े कई रिती रिवाज महिलाएं निभाती हैं और इन्ही रिवाजों में एक रिवाज है सरगी। सरगी का इस दिन बहुत महत्व होता है। सरगी वह होती है जो सास अपनी बहू को व्रत रखने से पहले देती है और साथ ही देती है आशीर्वाद भी ताकि उनका व्रत सफल हो सके। आइए जानते हैं सरगी का महत्व व इससे जुड़ी कुछ खास बातें....
सरगी वह खाना है जो करवा चौथ के दिन सास अपनी बहू को देती है। यह खाना सूर्योदय से पहले दिया जाता है, सूर्योदय से पहले 4 से 5 बजे के बीच ही सरगी खाना चाहिए और उसके बाद दिन भर निर्जल व्रत ही किया जाता है। इसके साथ ही वह कुछ सामान भी अपनी बहू को देती है। जिसमें श्रृंगार का सामान होता है। एक तरह से वह बहू के लिए गिफ्ट होता है।
सरगी खाने के पीछे अहम कारण यही है कि सरगी खाने से दिन भर व्रत के लिए शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। ड्राई फ्रूट्स, मीठी मट्ठी, फल और मिठाई शरीर को ऊर्जा देते हैं और दिन भर ऊर्जावान बनाए रखते हैं यही कारण है कि सरगी इस दिन खाई जाती है।
सामान्यतः सरगी देने का अधिकार सिर्फ सास को ही होता है। लेकिन कई घरों में सास नहीं होती है। ऐसी अवस्था में घर की कोई बुजुर्ग महिला जिन्हें आप सास का दर्जा देती हों वो आपको सरगी दे सकती हैं। इसके अलावा अगर आप किसी कारणवश सास से दूर हैं। तो सास आपको पैसे भेज सकती है, जिससे आप खुद ही सरगी का सामान उनकी तरफ से खरीद सकती हैं।
सरगी में आप नारियल पानी, मिठाई, फ्रुट्स और ड्रायफ्रुट्स, जैसे काजू, बादाम, किशमिश, मीठी मट्ठी, फल, मिठाई , सेवई शामिल होती हैं। ये वो चीजें हैं जो आपको ऊर्जा देती हैं और सुबह इनके सेवन से आपको व्रत के दिन थकान महसूस नहीं होती बल्कि आप के अंदर ऊर्जा बनी रहती है।
Updated on:
27 Oct 2018 10:35 am
Published on:
27 Oct 2018 10:00 am
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