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​दिवाली 2022- महालक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

- जानें दिवाली 2022 पर लक्ष्मी पूजा का शुभ चौघड़िया पंचांग मुहूर्त और योग...

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Deepesh Tiwari

Oct 24, 2022

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महालक्ष्मी की पूजा का पर्व दिवाली का त्याैहार आज यानि सोमवार, 24 अक्टूबर 2022 काे मनाया जाएगा। इस दिन शाम 5 बजकर 27 मिनट तक चतुर्दशी तिथि रहेगी, जिसके चलते इस समय तक नरकचतर्दशी मानी जाएगी।वहीं इसके बाद से दिवाली यानि अमावस्या लग जाएगी। चूंकि अगले दिन यानि 25 अक्टूबर काे सूर्यग्रहण है अत: ऐसे में 24 की शाम काे ही दिवाली का त्याैहार मनाया जाएगा।

कुल मिलाकर इस साल यानि 2022 में दिवाली सोमवार, 24 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी। ऐसे में इस दिन माता महालक्ष्मी की पूजा का विधान है, ताकि वे हमारे जीवन में सुख समद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें। साथ ही यह दिन श्रीराम के वापस आयाेध्य्या आने का भी माना जाता है।

वहीं यह भी माना जाता है कि मां लक्ष्मी दिवाली की रात स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर विचरण करती हैं। माता लक्ष्मी की पूजा दिवाली के दिन केवल घरों में ही नहीं बल्कि ऑफिस और दुकान में भी की जाती है।

दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (Diwali 2022 Lakshmi Puja Muhurat)

कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ - 24 अक्टूबर 2022, शाम 05.27
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त - 25 अक्टूबर 2022, शाम 04.18
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त (शाम) - 07.02 PM - 08.23 PM (24 अक्टूबर 2022)
- लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त: 24 अक्टूबर शाम 06:53 से रात 08:16 तक।

दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा शुभ चौघड़िया-

प्रदोष काल - 05.50 PM - 08:23 PM
वृषभ काल - 07:02 PM- 08.58 PM
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 05:27 PM - 05:50 PM
शाम मुहूर्त (चर) - 05:50 PM - 07:26 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 10:36 PM - 12:11 AM


24 अक्टूबर 2022 दिवाली का पंचांग मुहूर्त और योग...

अभिजित मुहूर्त : दिन में 11:59 से दोपहर 12:14 तक। खरीदारी कर सकते हैं।
- विजय मुहूर्त : दोपहर 02:18 से 03:04 तक। खरीदारी और पूजा कर सकते हैं।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:58 से 06:22 तक। पूजा-आरती कर सकते हैं।
- शाम 06:10 से 07:24 तक। पूजा-आरती कर सकते हैं।
- रात्रि 11:58 से 12:48 तक। पूजा-आरती कर सकते हैं।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की समाग्री-
दिवाली 2022 पूजा सामग्री (Diwali Lakshmi Puja samagri) : लक्ष्मी-गणेश की मूर्ती या फोटो,पूजा की चौकी, लाल कपड़ा, रोली, कुमकुम, चंदन, अष्टगंध, अक्षत, पान, सुपारी, पंचामृत, हल्दी, रूई की बत्ती, लाल धागे की बत्ती,नारियल, गंगाजल, फल, फूल, कमल गट्‌टा, कलश, आम के पत्ते, मौली,जनेऊ, दूर्वा, कपूर, दक्षिणा, धूप, दो बड़े दीपक, गेंहूं, खील, बताशे, स्याही, दवात।

दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा विधि (Diwali Lakshmi Puja Vidhi at Home)

इस दिन (Diwali) पर घर की सफाई करने के पश्चात मां लक्ष्मी के चरण चिन्ह्, रंगोली, शुभ-लाभ, स्वास्तिक घर की चौखट पर बनाएं। और गेंदे के फूल और आम के पत्तों से बना बंदनवार द्वार पर लगाएं। इस दिन (Diwali) नवीन बैठी हुई लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए। वहीं इस दिन (दिवाली) प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर गंगाजल या गौमूत्र छिड़क देना चाहिए। इसके पश्चात पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद उस पर भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती की मूर्ति को पूर्व दिशा या पश्चिम दिशा की ओर मुख करते हुए स्थापित करना चाहिए।

ये है स्थापना मंत्र (Sthapana mantra) - या सा पद्मासनास्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी, गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया, या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितै: स्वापिता हेम-कुम्भै: , सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व -मांगल्य-युक्ता।।

अब चौकी पर मूर्ति के पास जल से भरा कलश चावल की ढेरी पर रखें, इस पर आम के पत्ते डालकर ऊपर से लाल वस्त्र में लपेटा नारियल यहां पर रख दें, जिसे वरुणदेव का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर देवी मां लक्ष्मी के बायींं ओर घी का दीपक और अपने हाथ के दायें ओर तेल का दीपक लगाएं। घी के लिए रूई जबकि तेल के लिए लाल धागे की बत्ती को उपयोग में लाएं। इन दीयों में उचित मात्रा में घी-तेल डालें, ताकि पूजा खत्म होने तक ये प्रज्वलित बने रहें। इस दिन पूरे घर-आंगन में 11, 21 या 51 तेल की दीपक लगाएं।

वहीं कुबेर देवता की पूजा के लिए देवी मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने चांदी या कांसे की थाल पर रोली से स्वातिक बनाकर अक्षत डालें और इसमें चांदी के सिक्के , गहने, रख दें। वहीं इस दौरान देवी मां लक्ष्मी की मूर्ति को भी सोने या चांदी के गहने पहनाएं।

दीप प्रज्वलित करने के पश्चात सभी देवी-देवता और नवग्रह का आव्हान करें। इसमें भी भगवान गणेश को चंदन का तिलक लगाकर, जनेऊ, अक्षत, फूल, दूर्वा अर्पित सर्व प्रथम करें। यदि देवी माता लक्ष्मी की मूर्ति पीतल या चांदी की हो तो दक्षिणावर्ती शंख में जल और पंचामृत डालकर उससे इनका अभिषेक करें। श्रीयंत्र की पूजा करना भी इस दिन अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

इसके बाद महालक्ष्मी और देवी सरस्वती का षोडशोपचार पूजन करें। अब इन्हें रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, मेहंदी, अक्षत, पान, सुपारी, अबीर, गुलाल, कमल का फूल, कलावा, पंचामृत, फल, मिठाई, खील बताशे, इत्र, पंचरत्न, खीर, पीली कौड़ी, गन्ना, नारियल आदि अर्पित करें। ध्यान रहे कि दिवाली पर मां काली की भी विशेष पूजा की जाती है, लेकिन गृहस्थ जीवन वालों के लिए देवी काली के सामान्य रूप से पूजा उचित मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार काली देवी के प्रतीक रूप में स्याही, दवात को पूजा जाता है।

इस दौरान पूजा में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। इस दिन तिजोरी, बहीखाता और व्यापारिक उपकरणों की भी पूजा की जानी चाहिए। दिवाली की रात श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त, लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना अति उत्तम माना जाता है। जानकारों व पंडितों का कहना है कि देवी लक्ष्मी की आरती के पश्चात पुरुष साष्टांग प्रणाम और महिलाएं हाथ जोड़कर देवी से क्षमा प्रार्थना करें। इसके पश्चात सभी में प्रसाद बांटे और जरूरमंदों को अन्न, गर्म कपड़े सामर्थ अनुसार दान करें।