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कल 17 जुलाई से शुरू हो रहा शिव का सावन, इन नियमों के साथ सावन सोमवार की पूजा नहीं होगी निष्फल

Sawan somwar कल से हो रहे शुरू, जुलाई, अगस्त की इन तारिखों में पड़ने वाले सावन सोमवार में ऐसे करें भगवान शिव का पूजन

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भोपाल

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Shyam Kishor

Jul 16, 2019

Sawan somwar

कल 17 जुलाई से शुरू हो रहा शिव का सावन, इन नियमों के साथ सावन सोमवार की पूजा नहीं होगी निष्फल

17 जुलाई 2019 दिन बुधवार से सावन का पवित्र महीना शुरू रहा है। श्रावन के महीने में शिव भक्त ही नहीं पूरा वातावरण ही शिवमय हो जाता है। इस बार कुल 4 सावन सोमवार ( sawan somwar ) रहेंगे। पड़ने वाले हैं, और 15 अगस्त दिन गुरुवार को पूर्णिमा तिथि रक्षाबंधन पर्व के साथ सावन मास समापन होगा। श्रावन मास में हर सोमवार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजन के साथ इस उपाय को जरूर करें। भोले बाबा आपकी हर मनोकामना पूरी करेंगे।

2019 में सावन मास में इन तिथियों में है सोमवार

- 17 जुलाई 2019 दिन बुधवार को श्रावण मास का पहला दिन

- सोमवार, 22 जुलाई 2019 पहला सावन सोमवार व्रत
- सोमवार, 29 जुलाई 2019 दूसरा सावन सोमवार व्रत
- सोमवार, 5 अगस्त 2019 तीसरा सावन सोमवार व्रत
- सोमवार, 12 अगस्त 2019 चौथा सावन सोमवार व्रत

- 15 अगस्त 2019 दिन गुरुवार को सावन मास का अंतिम दिन रहेगा ।

सावन मास में शिव जी का पूजन करते समय इन बातों जरूर ध्यान रखें, नहीं तो आपकी पूजा पूरा फल नहीं मिल पायेगा।

1- खंडित चावल- शास्त्रों में उल्लेख आता है कि भगवान शिव को अक्षत यानी साबूत चावल ही चढ़ाना चाहिए। पूजा के लिए टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध माना गया है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता।

2- तुलसी- जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है, इसलिए तुलसी से शिव जी की पूजा नहीं की जाती।

3- तिल- तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है, इसलिए भगवान शिव की पूजा में तिल का उपयोग नहीं करना चाहिए।

4- शंख से जल- भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है शिव जी की नहीं।

5- हल्दी- हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती।

6- केतकी फूल- केतकी के फूल को भगवान शिव ने त्याग दिया था, शिवपुराण के अनुसार एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में विवाद हो गया कि दोनों में कौन अधिक बड़े हैं। जब शिवजी ने केतकी से पूछा तो उसने शिवजी को असत्य बोला। तभी से केतकी के फूल को शिव पूजा में उपयोग नहीं किया जाता।

7- नारियल पानी- नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है जिनका संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए शिव जी को नारियल भी नहीं चढ़ाया जाता।

8- कुमकुम- कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है और भगवान शिव वैरागी है इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता।

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