
माघ मौनी श्राद्ध अमावस्या : जानें मुहूर्त, महत्व और उपाय
24 जनवरी दिन शुक्रवार को माघ मास की अमावस्या तिथि है। इस अमावस्या मौनी व माघ श्राद्ध अमावस्या भी कहा जाता है। माघ मास की इस अमावस्या तिथि को मौन व्रत रखकर अपने पित्रों का श्राद्ध करने से वे तृप्त व प्रसन्न हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा आदि पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान भी करना चाहिए। माघ मास की अमावस्या के दिन स्नान, दान करने से बहुत पुण्य की प्राप्ति भी होती है।
माघ मौनी अमावस्या तिथि- 24 जनवरी 2020
- 24 जनवरी दिन शुक्रवार को अमावस्या सूर्योदय से पूर्व रात्रि 2 बजकर 19 मिनट से आरंभ हो जाएगी।
- 25 जनवरी दिन शनिवार को रात्रि में 3 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी।
माघ मौनी अमावस्या के दिन करें श्राद्ध कर्म
माघ मास की मौनी अमावस्या के दिन जो कोई भी अपने पूर्वज पित्रों के निमित्त श्राद्ध कर्म करते हैं, उनके दिवंगत पितरों की आत्माएं तृप्त होकर प्रसन्न होकर सुखी, धनधान्य पूर्ति का आशीर्वाद भी देते हैं।
माघ अमावस्या को जरूर करें ये काम
- मौनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
- इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।
- अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
- यदि आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।
- माघ अमावस्या के दिन पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माघ मौनी अमावस्य तिथि का महत्व
शास्त्रों में माघ अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व बताया गया है। चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है और अमावस्या तिथि के दिन आकाश में चंद्रमा के दर्शन नहीं होने के कारण इस दिन मन की स्थिति कमजोर रहती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन मौन रहकर पूजा उपासना करने एवं पवित्र नदियों में स्नान करने से अनेक कामनाएं भी पूरी हो जाती है।
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Published on:
21 Jan 2020 01:56 pm
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