
महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 21 फरवरी, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ही भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। लेकिन क्या आपको पता है भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह कैसे हुआ था और इसके पीछे क्या कथा है। तो आइए आपको बताते हैं भगवान शिव के विवाह के पीछे की कथा के बारे में...
भगवान शिव और माता पार्वती विवाह की कहानी
माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती तीं। लेकिन भगवान शिव के पास जब मां पार्वती ने अपना विवाह प्रस्ताव लेकर कन्दर्प को शिव जी के पास भेजा तो भगवान शिव ने उस प्रस्ताव को अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया। लेकिन मां पार्वती नहीं मानी और इसके बाद उन्होंने शिव जी को पाने के लिये तपस्या शुरु कर दी, उनकी तपस्या इतनी कठोर थी की पूरी जगह में इसका हाहाकार मच गया। माता पार्वती का कठोर तप देखकर भगवान शिव जी ने मां पार्वती से विवाह करने के लिये हां कह दिया।
लेकिन भगवान शिव जब मां पार्वती से विवाह करने बारात लेकर पहुंचे तो वहां सब डरकर भागने लगे, क्योंकि भगवान शिव के साथ भूत-प्रेत, चुडैल और डाकिनियां पहुंचे थे। डाकिनियों और चुड़ैलों ने भगवान शिव को भस्म से सजाया और हड्डियों की माला पहना दी। जैसे ही बारात दरवाजे पर पहुंची तो मां पार्वती की माता ने इस शादी को अस्वीकार कर दिया। यही नही भगवान शिव के इस रूप को देखकर सभी देवता भी हैरान हो गये।
स्थितियां बहुत ज्यादा बिगड़ती इससे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव से प्रार्थना की वो उनके रीति रिवाजों के मुताबिक तैयार होकर आंए। फिर भगवान शिव ने मां पार्वती की बात मानते हुए सभी देवताओं को फरमान भेजा की सभी खूबसूरत रुप से तैयार होकर आएं और इस बात को सुनकर सभी देवता बहुत सुंदर तैयार होकर आए और फिर मां पार्वती और शिव जी का विवाह ब्रह्मा जी की उपस्थिति में शुरु हुआ। माता पार्वती और भोलेबाबा ने एक दूसरे को वर माला पहनाई और ये विवाह संपन्न हुआ।
Published on:
10 Feb 2020 03:30 pm
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